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Top – NCERT Class 10 Hindi Course B Sparsh Chapter 7 – तोप

NCERT Study Material for Class 10 Hindi Course B Sparsh Chapter 7 Top - तोप Composed by Viren Dangwal

हमारे ब्लॉग में आपको NCERT पाठ्यक्रम के अंतर्गत कक्षा 10 (Course B) की हिंदी पुस्तक ‘स्पर्श’ के पाठ पर आधारित प्रश्नों के सटीक उत्तर स्पष्ट एवं सरल भाषा में प्राप्त होंगे। साथ ही काव्य – खंड के अंतर्गत निहित कविताओं एवं साखियों आदि की विस्तृत व्याख्या भी दी गई है।

यहाँ NCERT HINDI Class 10 के पाठ – 7 कविता – ‘तोप’ की व्याख्या दी जा रही है। यह कविता कवि वीरेन डंगवाल द्वारा रचित है। यह व्याख्या पाठ की विषय-वस्तु को समझने में आपकी सहायता करेगी। इसे समझने के उपरांत आप पाठ से संबंधित किसी भी प्रश्न का उत्तर सरलता से दे सकेंगे। आशा है यह सामग्री आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

Table of Contents

Top - तोप
सप्रसंग व्याख्या

कविता का प्रसंग – प्रस्तुत कविता में कवि वीरेंद्र डंगवाल ने ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गए कंपनी बाग के प्रवेश द्वार पर रखी गई, ब्रिटिश शासकों द्वारा प्रयोग की जाने वाली तोप का संक्षिप्त परिचय दिया है। 

 

कंपनी बाग के मुहाने पर

धर रखी गई है यह 1857 की तोप 

इसकी होती है बड़ी सम्हाल, विरासत में मिले 

कंपनी बाग की तरह

साल में चमकाई जाती है दो बार।

व्याख्या – 

कवि कहता है कि कंपनी बाग के प्रवेश द्वार पर सँभाल कर रखी गई इस तोप का संबंध 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से है। यह तोप बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कंपनी बाग की तरह विरासत में मिली है। 

विरासत में मिली चीज़ो की बड़ी सँभाल होती है क्योंकि विरासत में प्राप्त चीज़ें हमें हमारे पूर्वजों की पुरानी परंपराओं की, उनकी उपलब्धियों की और साथ ही हमारे पूर्वजों द्वारा की गई गलतियों की याद भी दिलाती हैं। सँभाल कर रखी गई इस तोप को भी साल में दो बार अर्थात् स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) और गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) पर चमकाया जाता है। यह तोप हमारे देश के वीर स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों की साक्षी (गवाह) है। इसके राष्ट्रीय महत्त्व को ध्यान में रखते हुए इस तोप को चमकाया जाता है जिससे पूरा राष्ट्र, स्वतंत्रता दिलाने वाले वीरों को याद रखे और लोगों के मन में राष्ट्रीयता की भावना बढ़े। 

सुबह-शाम कंपनी बाग में आते हैं बहुत से सैलानी 

उन्हें बताती है यह तोप

कि मैं बड़ी जबर

उड़ा दिए थे मैंने 

अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे

अपने ज़माने में

व्याख्या – 

कवि कहता है कि यह तोप कंपनी बाग में सुबह शाम आने वाले यात्रियों के आकर्षण का केंद्र है। प्रवेश द्वार पर रखी गई इस तोप के रूप और बनावट को देखकर यात्री प्रभावित होते हैं। ऐसा लगता है जैसे तोप स्वयं अपना परिचय देते हुए बता रही हो कि अपने ज़माने में मैं बहुत ही शक्तिशाली थी। मैंने अपनी ताकत से इस देश के बड़े-बड़े वीरों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए अर्थात् उन्हें मौत के घाट उतार दिया। इस प्रकार इस तोप ने अपने समय में, भारतवासियों के दिलों में अपना आतंक फैलाया था। 

अब तो बहरहाल 

छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फ़ारिग हो 

तो उसके ऊपर बैठकर

चिड़ियाँ ही अकसर करती हैं गपशप 

कभी-कभी शैतानी में वे इसके भीतर भी घुस जाती हैं 

खास कर गौरैयें

वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप 

एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बंद। 

व्याख्या – 

इन पंक्तियों में कवि तोप की वर्तमान स्थिति के बारे में बताते हुए कहता है कि अब तो फिलहाल यह ताकतवर तोप बिल्कुल तेजहीन हो गई है। अब इसका आतंक (डर) खत्म हो गया है।

अब कंपनी बाग में घूमने आए लड़के इस पर घुड़सवारी करते हैं और यदि इस पर कोई बच्चा नहीं बैठा होता तब मौका पाकर इसके ऊपर चिड़ियाँ बैठ जाती हैं और आपस में बातें करती हुई प्रतीत होती हैं। कई बार तो शैतानी में, गौरैयें (एक किस्म की भूरे रंग की चिड़िया) इसके भीतर घुस जाती हैं। उनके लिए यह तोप कोई डर की वस्तु नहीं है। वे गौरैयें मानो संसार को यह बता रही हों कि तोप चाहे कितनी ही बड़ी क्यों ना हो एक न एक दिन उनका मुँह अवश्य बंद हो जाता है।

कहने का अर्थ यह है कि अपने समय में आतंक फैलाने वाली, लोगों को मौत के घाट उतारने वाली यह तोप अब डर की वस्तु नहीं रही। इन पंक्तियों द्वारा कवि यह बताना चाहता है कि कोई भले ही कितना ही ताकतवर क्यों न हो एक दिन उसके शासन का अंत हो ही जाता है। 

तोप कविता में दो प्रतीकों का चित्रण – 

कविता तो में दो प्रतीकों का चित्रण किया गया है। इस कविता में जिस तोप की बात की गई है वह हमें याद दिलाती है कि कभी ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ भारत में व्यापार करने के इरादे से आई थी। भारत ने उसका स्वागत ही किया था लेकिन देखते-देखते वह हमारी शासक बन बैठी। उसने कुछ बाग बनवाए तो कुछ तोपें भी तैयार की। उन तोपों ने इस देश को फिर से आज़ादी दिलाने का सपना देखने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को मौत के घाट उतारा।

कवि इस प्रतीक के माध्यम से भारतवासियों को सचेत करना चाहता है कि हमें ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ जैसी कंपनियों को अपने देश में पाँव नहीं जमाने देने चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो हमारा देश फिर से गुलाम हो सकता है। यह कविता स्वतंत्रता का महत्त्व बताती है। 

पर एक दिन ऐसा भी आया जब हमारे पूर्वजों ने ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंका। तोप को निस्तेज कर दिया। कविता की एक पंक्ति में बताया गया है कि एक छोटी चिड़िया तोप के भीतर घुस जाती है। इस प्रतीक द्वारा कवि यह बताना चाहता है कि कोई भले ही कितना ही ताकतवर क्यों न हो एक दिन उसके शासन का अंत हो ही जाता है। 

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कविता का संदेश/सीख

कंपनी बाग में रखी तोप हमें अंग्रेज़ों के अत्याचारों और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाती है। यह कविता हमें अपनी पुरानी गलतियों से शिक्षा लेने की सीख और सावधान रहने की सलाह भी देती है ताकि कोई विदेशी दोबारा हम पर राज न कर सके। इसी के साथ तोप यह सीख भी देती है कि चाहे कोई कितना भी अधिक शक्तिशाली क्यों न हो एक न एक दिन उसका अंत हो ही जाता है।

पाठ में प्रयुक्त मुहावरा –

मुँह बंद करना – शांत करना, चुप कराना। 

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