NCERT Study Material for Class 10 Hindi B Sanchayan Chapter 2 Sapno Ke Se Din - सपनों के से दिन
हमारे ब्लॉग में आपको NCERT पाठ्यक्रम के अंतर्गत कक्षा 10 (Course B) की हिंदी पुस्तक ‘स्पर्श’ और हिंदी पूरक पाठ्यपुस्तक ‘संचयन’ के पाठ पर आधारित सामग्री प्राप्त होगी जो पाठ की विषय-वस्तु को समझने में आपकी सहायता करेगी। इसे समझने के उपरांत आप पाठ से संबंधित किसी भी प्रश्न का उत्तर सरलता से दे सकेंगे।
यहाँ NCERT HINDI Class 10 के पाठ – 2 ‘सपनों के से दिन’ (Sapno Ke Se Din) के मुख्य बिंदु (Important / Key points) दिए जा रहे हैं।
साथ ही आपकी सहायता के लिए पाठ्यपुस्तक के पाठ सपनों के से दिन (Sapno Ke Se Din) में दिए गए प्रश्नों के सटीक उत्तर (Textbook Question-Answers), पाठ – सपनों के से दिन (Sapno Ke Se Din) के अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर (Extra Questions /Important Questions with Answers) एवं पाठ – सपनों के से दिन (Sapno Ke Se Din) के गत वर्ष प्रश्न (Previous Year Questions) सरल एवं भाषा में दिए गए हैं।
आशा है पाठ – सपनों के से दिन (Sapno Ke Se Din) यह सामग्री आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
पाठ ‘सपनों के-से दिन’ – Sapno Ke Se Din के लेखक गुरदयाल सिंह है। यह पाठ उनकी आत्मकथा के अंश के समान है जिसमें उन्होंने अपने विद्यार्थी – जीवन की यादों का वर्णन किया है।
Table of Contents
सपनों के से दिन - प्रश्न उत्तर
Sapno Ke Se Din Question Answers
1. कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती – पाठ के किस अंश से यह सिद्ध होता है? कारण बताते हुए इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर – कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती। पाठ के शुरु में लेखक ने अपने उन दोस्तों के बारे में बताया है जो राजस्थान और हरियाणा से आए थे। लेखक को उनकी भाषा समझ में नहीं आती थी लेकिन खेलते समय सभी एक दूसरे की भाषा आसानी से समझ लेते थे।
इस अंश से पता चलता है कि भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती। सब अलग-अलग भाषा बोलते हैं, उनके कुछ शब्द सुनकर तो हँसी ही आ जाती थी परंतु खेलते समय सभी बच्चे एक-दूसरे की भाषा समझ लेते थे। उनके व्यवहार में इससे कोई अंतर नहीं आता था क्योंकि बच्चे जब मिलकर खेलते हैं तो उनका व्यवहार, उनकी भाषा अलग होते हुए भी एक ही लगती है। भाषा अलग होने पर भी वह आपसी खेल कूद और मेल मिलाप में बाधा नहीं बनती।
2. पीटी साहब की ‘शाबाश’ फ़ौज के तमगों-सी क्यों लगती थी। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – पीटी साहब प्रीतमचंद बहुत ही अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे। छोटी – सी गलती पर भी वह बच्चों को कठोर दंड (सज़ा) देते थे। सभी लड़के पीटी साहब से बहुत डरते थे। उनकी मार से बचने के लिए बच्चे प्रार्थना के समय कतार में ठीक तरह से खड़े होने की कोशिश करते थे। वे बहुत कठोर अध्यापक थे। जब कभी वह बच्चों को मार के स्थान पर शाबाशी देते थे तो बच्चों को ऐसा लगता था कि उन्होंने पीटी साहब को खुश करने जैसा असंभव कार्य कर दिखाया है। इसलिए उनसे मिली एक शाबाशी, बच्चों को सभी मास्टरों की ओर से कॉपियों में मिलने वाले गुड्डों से अधिक मूल्यवान लगती और फ़ौज के तमगों – सी लगती थी।
3. नई श्रेणी में जाने और नई कापियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन क्यों उदास हो उठता था?
उत्तर – नई श्रेणी (कक्षा) में जाने और नई कापियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन उदास हो उठता था। इसके दो कारण हो सकते हैं –
(i) लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण हेडमास्टर साहब लेखक को हर साल नई कक्षा में एक अमीर लड़के की पुरानी किताबें देते थे। वे भी और बच्चों की तरह नई श्रेणी में नई कॉपियाँ और किताबों से पढ़ना चाहते थे जो उन्हें नहीं मिल पाती थी इसलिए वे उदास हो जाते थे।
(ii) लेखक को यह डर सताता था कि आगे की पढ़ाई और कठिन होगी और गलती करने पर उसे उन्हीं मास्टरों से मार पढ़ेगी।
4. स्काउट परेड करते समय लेखक खुद को महत्त्वपूर्ण ‘आदमी’ फ़ौजी जवान समझने लगते थे?
उत्तर – स्काउट परेड करते समय लेखक धोबी की धुली वर्दी, पॉलिश किए हुए बूट और जुराबों को पहन कर जब ठक-ठक करके चलता था तो वह अपने आपको फ़ौजी से कम नहीं समझता था। जब पीटी मास्टर प्रीतम चंद परेड करवाते और उनके कहने पर लेखक लेफ़्ट टर्न, राइट टर्न या अबाऊट टर्न सुनकर जब अकड़कर चलता तब उसे ऐसा लगता था कि वह विद्यार्थी नहीं, बहुत महत्त्वपूर्ण ‘आदमी’ है मतलब देश की सेवा करने वाला फ़ौजी जवान है।
5. हेडमास्टर शर्मा जी ने पीटी साहब को क्यों मुअत्तल कर दिया?
उत्तर – पीटी साहब चौथी कक्षा के बच्चों को फ़ारसी पढ़ाते थे। एक दिन मास्टर प्रीतमचंद ने कक्षा में बच्चों को फ़ारसी के शब्द रूप याद करने के लिए दिए लेकिन किसी भी बच्चे को वह शब्द रूप याद नहीं हो सके। इस पर मास्टर जी ने उन्हें मुर्गा बना दिया। बच्चे इसे सहन नहीं कर पाए कुछ ही देर बाद बच्चे गिरने लगे। उसी समय कोमल मन वाले हेडमास्टर साहब वहाँ से निकले। बच्चों के प्रति पीटी मास्टर का इतना क्रूर (बुरा) व्यवहार उनसे सहन नहीं हुआ और उन्होंने पीटी मास्टर को उसी समय मुअत्तल कर दिया।
6. लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल खुशी से भागे जाने की जगह न लगने पर भी कब और क्यों उन्हें स्कूल जाना अच्छा लगने लगा?
उत्तर – लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल जाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था लेकिन जब स्कूल में पीटी साहब नीली – पीली झंड़ियाँ बच्चों के हाथों में पकड़ाकर वन टू थ्री कहते, झंड़ियाँ ऊपर – नीचे, दाँए – बाएँ करवाते तो हवा में लहराती झंड़ियों के साथ खाकी वर्दी तथा गले में रूमाल बाँधकर स्काउटिंग का अभ्यास करवाते तो लेखक को बहुत अच्छा लगता था।
सब बच्चे ठक-ठक करते राइट टर्न, लेफ़्ट टर्न या अबाऊट टर्न करते और मास्टर जी उन्हें शाबाश कहते तो लेखक को पूरे साल में मिले गुड्डों से भी ज़्यादा अच्छा लगता था। लेखक को लगता कि पीटी साहब को प्रसन्न करके उसने कोई बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त कर ली है। इसी कारण लेखक को स्कूल जाना अच्छा लगने लगा।
7. लेखक अपने छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टियों में मिले काम को पूरा करने के लिए क्या-क्या योजनाएँ बनाया करता था और उसे पूरा न कर पाने की स्थिति में किसकी भाँति ‘बहादुर’ बनने की कल्पना किया करता था?
उत्तर – लेखक अपने स्कूल की छुट्टियों में मिले काम को जब पूरा करने की बात सोचता था तब उसकी छुट्टियाँ खत्म होने वाली होती थी। फिर वह योजना बनाता कि यदि हिसाब के मास्टर जी द्वारा दिए गए 200 सवालों को पूरा करने के लिए रोज़ दस सवाल निकले जाएँ तो वे 20 दिन में पूरे हो जाएँगे लेकिन खेल – कूद में लेखक का समय बीत जाता और काम न हो पाता। तब एक दिन में 15 सवाल करने की बात सोचने लगता। धीरे-धीरे समय बीतने लगता तो लेखक ओमा नाम के ठिगने और शरारती लड़के जैसा बहादुर बनना चाहता था जो काम करने के बदले मास्टर जी से पिटना सस्ता सौदा समझता था।
8. पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
1) व्यक्तित्व – पीटी सर शरीर से दुबले-पतले, ठिगने कद के थे, उनकी बाज़ जैसी तेज़ आँखें थीं। उनका चेहरा दागों से भरा हुआ था। वे खाकी वर्दी और चमड़े के चौड़े पंजों वाले जूते पहनते थे।
2) अनुशासन प्रिय – वे बहुत अनुशासन प्रिय थे। वह किसी भी बच्चे को ज़रा – सी भी गलती करते देखते तो कठोर दंड देते थे।
3) कठोर स्वभाव – वे कठोर स्वभाव के थे। उनके मन में दया भाव न था। गलती करने पर वह बच्चों के साथ क्रूरता पूर्ण व्यवहार करते थे। बाल खींचना, ठुडढे मारना, खाल खींचना उनकी आदत थी।
4) पक्षी प्रेमी – स्कूल के छोटे बच्चों के साथ मास्टर प्रीतम चंद का व्यवहार क्रूर था लेकिन वह अपने पालतू तोतों से बहुत प्रेम करते थे। वह अपने तोतों को बादाम खिलाते और उनसे मीठी-मीठी बातें करके अपना समय व्यतीत करते थे।
9. विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियों और वर्तमान में स्वीकृत मान्यताओं के संबंध में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर – विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियाँ बड़ी ही भयानक हैं। अगली कक्षा में दाखिल होने की बात हो या रोज़ स्कूल जाने की, बच्चे अध्यापकों की मार के डर से काँपते थे। अनुशासन बनाए रखने के लिए पी टी मास्टर प्रीतम चंद बच्चों को बहुत क्रूरता से मारते थे। दूसरे अध्यापक भी पाठ याद न करने पर शारीरिक दंड देते थे। परंतु शारीरिक यातना देकर बच्चों को नहीं सुधारा जा सकता है।
वर्तमान समय में बच्चों को मारना-पीटना कानूनी अपराध है। आज के शिक्षकों का मानना है कि बच्चों को प्यार और सहनशीलता से ही सही तरीके से सिखाया जा सकता है। अध्यापकों को बच्चों के मनोविज्ञान को समझने का प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) दिया जाता है। उन्हें सही राह पर लाने के अन्य प्रयास किए जाते हैं।
10. बचपन की यादें मन को गुदगुदाने वाली होती हैं विशेषकर स्कूली दिनों की। अपने अब तक के स्कूली जीवन की खट्टी-मीठी यादों को लिखिए।
उत्तर – अपने अनुभवों के आधार पर छात्र स्वयं करें।
सहायक बिंदु –
~ स्कूल द्वारा आयोजित किसी पिकनिक का वर्णन।
~ स्कूल के किसी कार्यक्रम में भाग लेने की घटना।
~ किसी शिक्षक के साथ अच्छे या बुरे अनुभव आदि।
11. प्रायः अभिभावक बच्चों को खेल-कूद में ज़्यादा रुचि लेने पर रोकते हैं और समय बरबाद न करने की नसीहत देते हैं। बताइए –
(क) खेल आपके लिए क्यों ज़रूरी हैं?
उत्तर – बच्चों के लिए पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का भी विशेष महत्त्व है। खेल हमारे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक है। एक ओर जहाँ खेल बच्चों को शारीरिक रूप से मज़बूत बनाते हैं वहीं उनमें सहयोग की भावना, सामूहिकता, मेल-जोल रखने की भावना, हार-जीत को समान समझना और त्याग जैसे जीवन-मूल्यों का विकास भी होता है। इन्हीं जीवन-मूल्यों को अपना कर बच्चे देश के अच्छे नागरिक बनते हैं।
(ख) आप कौन से ऐसे नियम – कायदों को अपनाएँगे जिससे अभिभावकों को आपके खेल पर आपत्ति न हो?
उत्तर – अति हर चीज़ की बुरी होती है। विद्यार्थी जीवन में जहाँ खेलकूद का महत्त्व है वहीं शिक्षा की मज़बूत नींव भी इसी समय में ही बनती है। मैं दोनों को समान रूप से महत्त्व देकर समय – सारणी (टाइम टेबल) बनाऊँगा /बनाऊँगी। ऐसा करने से मैं नियमित रूप से दोनों कार्य बिना किसी परेशानी के कर सकूँगा /सकूँगी। परीक्षा के समय में केवल पढ़ाई पर ही ध्यान दूँगा /दूँगी। इस प्रकार के नियम – कायदे अपनाने पर मेरे अभिभावकों को निश्चित रूप से मेरे खेलने से आपत्ति नहीं होगी।
सपनों के से दिन - महत्तवपूर्ण प्रश्न
Sapno Ke Se Din Important Questions
1. ‘सपनों के-से दिन’ पाठ के आधार पर बताइए कि अभिभावकों (माता – पिता) को बच्चों की पढ़ाई में रुचि क्यों नहीं थी?
उत्तर – लेखक के अधिकतर पड़ोसी व्यवसाय से परचूनिए, आढ़तिए और छोटा-मोटा काम-धंधा करने वाले लोग थे। उस समय में लोग शिक्षा के महत्त्व को नहीं जानते थे इसलिए वे अपने बच्चों को स्कूल भेजना ज़रुरी नहीं समझते थे।
पढ़ने- लिखने की प्रक्रिया में बच्चों की नींव को मज़बूत करने में जो समय लगता है वे उन्हें समय बेकार करना लगता था। वे चाहते थे कि पंडित घनश्याम दास से हिसाब-किताब लिखने, बही-खाता जाँचने और मुनीमी का काम सिखाकर बच्चों को दुकान पर बैठा दिया जाए। किताब-कॉपियों पर पैसे खर्च करना भी अभिभावकों को अच्छा नहीं लगता था इसलिए अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई के प्रति रुचि नहीं थी।
2. ‘सपनों के से दिन’ पाठ के आधार पर बताइए कि उस समय गाँव में नौटंकी वाले क्यों आते थे?
उत्तर – ‘सपनों के से दिन’ पाठ में लेखक ने बताया है कि वह समय दूसरे विश्व युद्ध का समय था। उस समय भारत देश अंग्रेज़ी शासन के अधीन था। अंग्रेज़ी सरकार भारतीय नवयुवकों को फ़ौज में भर्ती कराने के लिए गाँव तथा मोहल्ले में नौटंकी दिखाकर सैनिकों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में बताकर उनके मन में सेना के प्रति आकर्षण पैदा करने की कोशिश करती थी जिससे वे सेना में नौकरी कर लें।
3. सपनों के से दिन पाठ का मुख्य संदेश /उद्देश्य क्या है?
उत्तर – इस पाठ के माध्यम से लेखक यह बताना चाहते हैं कि बाल मन पर पड़ने वाले अच्छे या बुरे प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा छाप छोड़ते हैं। इसलिए चाहे घर हो या स्कूल बच्चों के साथ मार-पिटाई के स्थान पर प्रेमपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। बच्चों को भी पढ़ाई के प्रति उपेक्षा का व्यवहार नहीं करना चाहिए। पढ़ाई मनुष्य के विकास में और उसकी सफलता के लिए बहुत आवश्यक है।
4. पाठ ‘सपनों के से दिन’ में वर्णित घटनाओं के आधार पर हेडमास्टर साहब की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – 1) कोमल स्वभाव – हेडमास्टर श्री मदनमोहन शर्मा जी अत्यंत ही कोमल स्वभाव के थे। वह पाँचवीं और आठवीं कक्षा को अंग्रेज़ी पढ़ाते थे। अपने कोमल स्वभाव के कारण वह कभी किसी बच्चे को मारते नहीं थे। अधिक से अधिक वह गुस्से में बहुत जल्दी – जल्दी आँखें झपकाकर अपने लंबे हाथों की उल्टी उँगलियों से एक प्यारी – सी चपत बच्चों की गाल पर लगाकर अपना गुस्सा व्यक्त करते थे।
2) कोमल हृदय – जब उन्होंने मास्टर प्रीतम को क्रूरता से चौथी कक्षा के बच्चों को सज़ा देते देखा तो वह सहन नहीं कर पाए और बहुत उत्तेजित हो गए। उन्होंने तुरंत उन्हें स्कूल से मुअत्तल कर दिया।
3) दयालु – लेखक की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण कहीं लेखक की पढ़ाई बीच में ही छूट न जाए इसलिए हेडमास्टर साहब एक अमीर लड़के की, जिसे वह घर जाकर पढ़ाया करते थे, एक साल पुरानी किताबें ले आते और लेखक को दे देते थे।
4) बच्चों से प्रेम – बच्चों से उन्हें विशेष लगाव था। वे बच्चों की प्रशंसा करके उनका उत्साह बढ़ाते थे। वे उनपर किसी भी तरह का अत्याचार सहन नहीं करते थे।
5. लेखक और उसके साथी अपना सबसे बड़ा नेता किसे मानते थे? पाठ सपनों के से दिन के आधार पर बताइए।
उत्तर – लेखक और उसके साथी ‘ओमा’ को बहादुर और अपना सबसे बड़ा नेता मानते थे। पाठ में उसके संबंध में बताया गया है कि उसकी बातें, गालियाँ, मार-पिटाई का ढंग तो अलग था ही, उसकी शक्ल-सूरत भी सबसे अलग थी। हाँडी जितना बड़ा सिर उसके ठिगाने चार बालिश्त के शरीर पर ऐसा लगता जैसे बिल्ली के बच्चे के माथे पर तरबूज रखा हो। इतने बड़े सिर में नरियल-की-सी आँखों वाला बंदरिया के बच्चे जैसा चेहरा और भी अजीब लगता।
लड़ाई वह हाथ-पाँव से नहीं, सिर से किया करता था। जब साँड़ की भाँति फुँकारता, सिर झुकाकर किसी के पेट या छाती में मार देता तो उससे दुगुने – तिगुने शरीर वाले लड़के भी पीड़ा से चिल्लाने लगते। लेखक और उसके साथियों को डर लगता कि किसी की छाती की पसली ही न तोड़ डाले। उसके सिर की टक्कर का नाम लेखक और उसके मित्रों ने ‘रेल-बम्बा’ रखा हुआ था जो रेल के इंजन की तरह बड़ा और भयंकर था।
सपनों के से दिन - गत वर्ष प्रश्न
Sapno Ke Se Din Previous Year Questions
प्रश्न 1. सपनों के – से दिन पाठ में वर्णित ‘ओमा’ जैसा व्यक्तित्व कभी भी अनुकरणीय क्यों नहीं हो सकता?
उत्तर – * ‘ओमा’ एक अनुशासनहीन छात्र था, जिसकी पढ़ाई – लिखाई में कोई रुचि नहीं थी।
* उसकी बातें, उसका गालियाँ देना, बात करने का तरीका, लड़ना – झगड़ना – इन बुराइयों के साथ वह एक अच्छा छात्र नहीं बन सकता था और उसका ऐसा व्यक्तित्व, भविष्य में उसे एक अच्छा नागरिक बनाने में सबसे बड़ी बाधा था।
प्रश्न 2. सपनों के – से दिन पाठ के आधार पर लिखिए कि मास्टर प्रीतमचंद जैसे अध्यापकों को मुमत्तुल किए जाने को आप कहाँ तक उचित मानते हैं और क्यों ? पक्ष या विपक्ष में तर्क पूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर – * मास्टर प्रीतमचंद को मुअत्तल किया जाना (नौकरी से निकाला जाना) उचित नहीं है।
*केवल वे ही नहीं उस समय में अन्य अध्यापक भी बच्चों को मारना-पीटना अपना अधिकार समझते थे।
* स्वभाव से वे कोमल थे परंतु छात्रों को अनुशासन में रखने के लिए कठोर दंड दिया करते थे।
* उन्हें उचित चेतावनी देकर छोड़ दिया जाना उचित था क्योंकि वे एक अच्छे अध्यापक थे। बच्चों के मन से स्कूल का डर हटाने के लिए अध्यापकों को भी प्रशिक्षित किया जाना चाहिए था जैसा कि अब किया जाता है।
प्रश्न 3. सपनों के-से दिन पाठ में बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए माता-पिता, भाई-बहन और अध्यापकों द्वारा मार-पीट करने का ज़िक्र आया है। वर्तमान समय में इसमें क्या परिवर्तन आया है? आपकी दृष्टि में कौन-सा तरीका अधिक बेहतर है?
उत्तर – परिवर्तन –
* कठोर शब्द और शारीरिक दंड अब अपराध माना जाता है।
* कानूनी तौर पर इस पर रोक
* अनुशासन में रखने के लिए मनोवैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग किया जाता है – जैसे- बच्चों की प्रशंसा करना, उन्हें पुरस्कार देकर प्रोत्साहित करना आदि ।
* खेल – खेल में, नई तकनीकों का प्रयोग करके सिखाने पर ज़ोर।
* वर्तमान समय में अपनाया जाने वाला तरीका बेहतर – बच्चे बिना डर के, पूरे मन (लगन) के साथ सीखते हैं।
प्रश्न 4. ‘सपनों के से दिन’ पाठ में बच्चों को स्कूल जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था, क्यों? कारण सहित उत्तर स्पष्ट करते हुए बताइए कि स्कूल जाने के संबंध में आपका क्या अनुभव है?
उत्तर – क्यों पसंद नहीं था-
* मास्टरों द्वारा पिटाई का भय
* नई कक्षा में नए पाठ्यक्रम और नई पुस्तकों को पढ़ने की कठिनाई।
*माता-पिता द्वारा शिक्षा की अहमियत न समझना।
* अनुशासन अधिक था, बच्चों की खेलकूद में अधिक रुचि थी।
अपना अनुभव-
*अनेक क्रियाकलाप करवाए जाने के कारण रुचि बनी रहती है।
* अब अध्यापकों द्वारा मार नहीं पड़ती।
प्रश्न 5. ‘वर्तमान में विद्यालयों में बढ़ती हुई अनुशासनहीनता को देखते हुए मास्टर प्रीतमचंद जैसे अध्यापकों की आवश्यकता है।’ इस कथन से सहमति या असहमति के संबंध में पाठ – सपनों के से दिन के आधार पर अपने तर्कसम्मत विचार लिखिए ।
उत्तर – असहमत –
* जिस प्रकार की क्रूर सज़ा मास्टर प्रीतम देते थे, वर्तमान समय में विद्यार्थियों की अनुशासनहीनता को काबू में करने के लिए उस तरह की सज़ा अब काम नहीं करेगी।
*इससे बच्चों में आक्रोश बढ़ेगा। वे और अधिक गलत काम करेंगे।
*विद्यार्थियों की अनुशासनहीनता को कम करने के लिए अब अध्यापकों को उनकी मानसिकता को समझने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।