NCERT Study Material for Class 10 Hindi Course A Kshitij Chapter - Sangatkar (संगतकार)
हमारे ब्लॉग में आपको NCERT पाठ्यक्रम के अंतर्गत कक्षा 10 (Course A) की हिंदी पुस्तक ‘क्षितिज’ के पाठ पर आधारित प्रश्नों के सटीक उत्तर स्पष्ट एवं सरल भाषा में प्राप्त होंगे। साथ ही काव्य – खंड के अंतर्गत निहित कविताओं एवं साखियों आदि की विस्तृत व्याख्या भी दी गई है।
यहाँ NCERT HINDI Class 10 के पाठ – संगतकार की व्याख्या दी जा रही है। इन पदों की व्याख्या पाठ की विषय-वस्तु को समझने में आपकी सहायता करेगी। इसे समझने के उपरांत आप पाठ से संबंधित किसी भी प्रश्न का उत्तर सरलता से दे सकेंगे।
आपकी सहायता के लिए पाठ्यपुस्तक में दिए गए प्रश्नों के उत्तर (Textbook Question-Answers) एवं अतिरिक्त प्रश्नों के उत्तर (Extra Questions /Important Questions with Answers) भी दिए गए हैं। आशा है यह सामग्री आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
Table of Contents
Sangatkar Introduction
संगतकार - पाठ परिचय
‘संगतकार’ कविता में कवि मंगलेश डबराल ने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्त्व पर विचार किया है। जब भी कहीं संगीत सभाओं का आयोजन होता है तब मुख्य गायक का साथ देने वाला व्यक्ति अर्थात् संगतकार उसके साथ होता है।
संगतकार केवल गायन में नहीं फ़िल्म, नाटक आदि में भी होते हैं। कवि इस कविता के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि केवल कला के क्षेत्र में ही नहीं, समाज और इतिहास में भी ऐसे अनेक व्यक्ति हैं जिन्होंने मुख्य नायक अथवा विशेष व्यक्तियों को अपना सहयोग दे कर उनकी सफलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कविता हमें संवेदनशील बनाती है और यह संदेश देती है कि हर व्यक्ति का अपना-अपना महत्त्व है। उनका सामने न आना, उनकी कमज़ोरी नहीं, उनकी मानवीयता है।
Sangatkar Explanation
संगतकार - व्याख्या
मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
वह आवाज़ सुंदर कमज़ोर काँपती हुई थी
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका शिष्य
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार
मुख्य गायक की गरज़ में
वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीन काल से
गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
खो चुका होता है
या अपने ही सरगम को लाँघकर
चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है
जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था
शब्दार्थ –
- संगतकार – मुख्य गायक के साथ गायन करने वाला या कोई वाद्य बजाने वाला कलाकार, सहयोगी
- गरज – ऊँची गंभीर आवाज़
- अंतरा – स्थायी या टेक को छोड़कर गीत का चरण
- जटिल – कठिन
- तान – संगीत में स्वर का विस्तार
- सरगम – संगीत के सात स्वर
- अनहद – योग अथवा साधना की आनंददायक स्थिति
- स्थायी – गीत का वह चरण या पंक्तियाँ, जिसे बार-बार गाया जाता है
- नौसिखिया – जिसने अभी सीखना शुरू किया हो
- शिष्य – चेला, सीखने वाला
व्याख्या – कवि कहते हैं कि जब मुख्य गायक चट्टान जैसी गंभीर आवाज़ में गाता है तब संगतकार अपनी कोमल और धीमी आवाज़ से गायक का साथ देता है। मुख्य गायक के गायन में उसका साथ देने वाला संगतकार अक्सर उसका छोटा भाई होता है या शिष्य या फिर धन की कमी के कारण पैदल चलकर, संगीत सीखने आया मुख्य गायक का दूर का कोई रिश्तेदार होता है। संगतकार का पैदल चलकर आना संगीत के प्रति उसकी लगन का भी प्रतीक है।
कवि कहते हैं कि संगतकार मुख्य गायक की ऊँची गंभीर आवाज़ में अपनी गूँज पुराने समय से ही मिलाता चला आ रहा है अर्थात् वह मुख्य गायक के सुर में अपना सुर मिलाता चला आया है।
गायक जब गीत गाते हुए अंतरे की जटिल तानों के जंगल में खो जाता है अर्थात् जब मुख्य गायक अपने सुरों के संसार में खो जाता है या फिर अपने गाए सरगम से आनंद का अनुभव करते हुए संगीत की आनंददायी स्थिति में डूब जाता है तब संगतकार ही स्थायी (मुखड़े) को बार-बार गाकर स्थिति को सँभाले रखता है।
यहाँ कवि यह कहना चाहते हैं कि कभी – कभी मुख्य गायक अपनी सरगम से उत्पन्न होने वाले आनंद से भी आगे, किसी दिव्य लोक में आनंद की अनुभूति करने लगता है तब उसे बाहरी दुनिया की सुध नहीं रहती। मुख्य गायक की संगीत साधना की ऐसी आनंददायिनी स्थिति में श्रोताओं को संगीत से जोड़े रखने का काम तब संगतकार ही करता है।
कवि यहाँ एक उदाहरण देते हैं कि ऐसा लगता है कि किसी के चले जाने के बाद जैसे कोई उसका छूटा हुआ सामान समेटकर रख रहा हो। इस प्रकार वह गीत को बिखरने से रोक लेता है।
कवि आगे यह भी कहते हैं कि संगतकार अपना सहयोग दे कर मुख्य गायक को उसका बचपन याद दिलाता है। जब वह भी नौसिखिया अर्थात् नया – नया सीखने वाला था, आज जैसा महान गायक न था, तब वह भी संगतकार की तरह अपने कार्य को ईमानदारी से पूरा करता था।
तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढाँढ़स बँधाता
कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर
कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है
गाया जा चुका राग
और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
शब्दार्थ –
- तारसप्तक – सप्तक का अर्थ है सात स्वरों का समूह, लेकिन ध्वनि या आवाज़ की ऊँचाई और निचाई के आधार पर संगीत में तीन तरह के सप्तक माने गए हैं। साधारण या सामान्य ध्वनि को ‘मध्य सप्तक’ कहते हैं। मध्य सप्तक से ऊपर की ध्वनि को ‘तार सप्तक’ कहते है यानी काफ़ी ऊँची आवाज़ और मध्य सप्तक से नीची आवाज़ को ‘मंद्र सप्तक’ कहते हैं।
- उत्साह अस्त होना – उत्साह खत्म होना
- राख जैसा कुछ गिरता हुआ – बुझता हुआ स्वर
- ढाँढ़स बँधाता – तसल्ली देता
- हिचक – झिझक
- विफलता – पराजय, हार
- मनुष्यता – मानवता
व्याख्या – कविता ‘संगतकार’ की इन पंक्तियों में कवि कहना चाहते हैं कि जब तारसप्तक में अर्थात् बहुत ऊँचे सुर में गाते समय गायक का स्वर उखड़ने लगता है और गाते-गाते मुख्य गायक का गला बैठने लगता है, तब संगतकार अपनी कोमल आवाज़ का सहारा देकर उसे उस निराशा की स्थिति से उबारने का प्रयास करता है।
लगातार ऊँचे स्वर में गाते रहने से गायक की साँस उखड़ने लगती है, तब संगतकार अपने दबे स्वर के द्वारा उसे सँभाल लेता है और उसे यह अनुभव कराता है कि इस वह अकेला नहीं है।
कवि यहाँ गायक की आवाज़ से ‘राख जैसा कुछ गिरता हुआ’ कहकर यह स्पष्ट करना चाह रहे हैं कि जब उसका स्वर बुझने-सा लगता है और पहले जैसा उत्साह नहीं रह जाता तब संगतकार अपनी कोमल आवाज़ की सहायता से उसे सहारा देता है।
कभी कभी वह मुख्य गायक को यह अहसास दिलाने के लिए कि वह अकेला नहीं है ऐसे ही उसका साथ दे देता है या यह बताने के लिए जो राग गाया जा चुका है, उसे फिर से गाया जा सकता है, परंतु ऐसा करते हुए उसकी आवाज़ की झिझक साफ़ सुनाई देती है।
इन पंक्तियों द्वारा कवि यह बताना चाहते हैं कि संगतकार अपने स्वर को ऊँचा न उठने देने की कोशिश करता है। ऐसा लगता है मानो वह संकोच के साथ गा रहा है। ऐसा वह इसलिए करता है क्योंकि वह इस बात का हमेशा ध्यान रखता है कि उसका स्वर मुख्य गायक के स्वर से ऊपर न पहुँच जाए। यह उसकी असफलता और कमज़ोरी नहीं है बल्कि वह तो मुख्य गायक का मान बनाए रखने के लिए ही ऐसा करता है। इसी को कवि ने उसकी मनुष्यता और महानता बताया है।
वह स्वयं को गुरु से श्रेष्ठ नहीं दिखाना चाहता बल्कि ऐसा करके वह अपने गुरु के प्रति आदर का भाव प्रकट करता है। मुख्य गायक के प्रति यह उसकी ईमानदारी है।
Sangatkar Question Answer
संगतकार - प्रश्न उत्तर
1. संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है?
उत्तर-संगतकार के माध्यम से कवि उन लोगों की ओर संकेत कर रहे हैं जो मुख्य व्यक्तियों की छवि बनाने में अपनी भूमिका निभाते हैं। ये स्वयं तो पीछे रहते हैं पर अपने मुख्य गायक, नेता को ऊँचा उठाने में मदद करते हैं। ये लोग अपने आदर्श व्यक्ति की छवि को निखारते हैं, मुसीबत में साथ देते हैं तथा ढाँढ़स बँधाते हैं। जिस प्रकार संगीत कार्यक्रम में मुख्य गायक का सहायक कलाकार अर्थात् संगतकार तथा किसी नेता की जीत और प्रसिद्धि में सहायक उसके सहयोगी उसका साथ देते हैं।
2. संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं?
उत्तर- संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा अनेक क्षेत्रों में दिखाई देते हैं –
(i) राजनीति के क्षेत्र में चुनाव में जीत केवल उम्मीदवार की होती है लेकिन उसे जिताने में अनेक कर्मचारियों के अलावा चुनाव के लिए चंदा देने वालों , प्रचार करने वालों जैसे अनेक लोगों का योगदान होता है।
(ii) फ़िल्म को सफल बनाने में अभिनय करने वाले कलाकारों के अतिरिक्त अनेक लोगों का योगदान होता है।
(iii) खेल में जीत का श्रेय जीतने वाली टीम के कैप्टन को मिलता है लेकिन विजेता बनाने में कई खिलाड़ियों का योगदान होता है। इसके अलावा उनके कोच और अन्य अनेक लोगों का योगदान होता है।
(iv) शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों को काबिल बनाने में केवल विद्यालय का ही नाम होता है जबकि इसके लिए शिक्षकों और माता-पिता के साथ अनेक अन्य कर्मचारियों का योगदान होता है।
(v) किसी युद्ध को जीतने में सेनापति के अलावा बहुत से वीरों का भी योगदान होता है।
3. संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं?
उत्तर – संगतकार मुख्य गायक-गायिकाओं की कई प्रकार से सहायता करता है –
(i) संगतकार मुख्य गायक – गायिका के ऊँचे और गंभीर स्वर में अपना कोमल और धीमा स्वर मिलाकर उनका साथ देता है।
(ii) संगीत सभाओं में तबला, हार्मोनियम आदि वाद्य यंत्रों को बजाकर संगतकार मुख्य गायक – गायिका के संगीत को और अधिक प्रभावी बनाते हैं ।
(iii) कभी – कभी मुख्य गायक अपनी सरगम से उत्पन्न होने वाले आनंद से भी आगे, किसी दिव्य लोक में आनंद की अनुभूति करने लगता है तब उसे बाहरी दुनिया की सुध नहीं रहती। मुख्य गायक की संगीत साधना की ऐसी आनंददायिनी स्थिति में स्थायी को गाकर संगतकार श्रोताओं को संगीत से जोड़े रखने का काम करता है।
(iv) लगातार ऊँचे स्वर में गाते रहने के कारण जब गायक की साँस उखड़ने लगती है, तब संगतकार अपने दबे स्वर के द्वारा उसे सँभाल लेता है और उसे यह अनुभव कराता है कि इस वह अकेला नहीं है। संगतकार का स्वर मानो मुख्य गायक को धीरज बँधाता, उसका हौसला बढ़ाता है। ऐसा करके संगतकार, मुख्य गायक और गायिकाओं को मानसिक तथा भावनात्मक सहायता प्रदान करते हैं ।
प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए –
और उसकी आवाज में जो एक हिचक साफ सुनाई देती हैं
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश हैं
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
उत्तर- इन पंक्तियों द्वारा कवि यह बताना चाहते हैं कि संगतकार अपने स्वर को ऊँचा न उठने देने की कोशिश करता है। ऐसा लगता है मानो वह संकोच के साथ गा रहा है। ऐसा वह इसलिए करता है क्योंकि वह इस बात का हमेशा ध्यान रखता है कि उसका स्वर मुख्य गायक के स्वर से ऊपर न पहुँच जाए। यह उसकी असफलता और कमज़ोरी नहीं है बल्कि वह तो मुख्य गायक का मान बनाए रखने के लिए ही ऐसा करता है।
वह मुख्य गायक को श्रेय दिलाता है और स्वयं को उससे वंचित रखता है। वह स्वयं को गुरु से श्रेष्ठ नहीं दिखाना चाहता। ऐसा करके वह अपने गुरु के प्रति आदर का भाव प्रकट करता है। मुख्य गायक के प्रति उसकी इसी ईमानदारी और त्याग को कवि ने उसकी मनुष्यता और महानता बताया है।
5. किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर – किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। कला से लेकर राजनीति में अनेक ऐसे उदाहरण हैं।
सुप्रसिद्ध गायक अरिजीत सिंह की गायिकी के सभी दीवाने हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि उनकी आवाज़ और गीत गाने का अंदाज़ बहुत अच्छा है परंतु एक गीत को बनाने में अनेक लोगों का योगदान होता है।
सबसे पहले एक गीतकार उस गीत को लिखता है। फिर एक संगीतकार उसकी धुन को बनाकर उस गीत के भावों को उभारता है। एक गायक अपनी आवाज़ से उस गीत में प्राण डालता है लेकिन उसे सुंदर ढंग से प्रस्तुत करने और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक वाद्यों का होना भी ज़रूरी होता है तब जाकर एक गाना दर्शकों को प्रभावित करता है।
गीत सुनकर दर्शक केवल गायक की प्रतिभा को ही जान पाते हैं परंतु उसे सुंदर रूप देने में सहायक अन्य लोगों की पहचान और उनके नाम कोई नहीं जानता।
6. कभी-कभी तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नज़र आता है उस समय संगतकार उसे बिखरने से बचा लेता है। इस कथन के आलोक में संगतकार की विशेष भूमिका को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- कभी-कभी मुख्य गायक अपने गायन की ध्वनि को सीमा से अधिक ऊँचाई तक ले जाता जहाँ उसका स्वर बिखरता हुआ प्रतीत होता है, तब संगतकार ही अपने स्वर से उसके स्वर को बिखरने से बचाता है।
लगातार ऊँचे स्वर में गाते रहने से गायक की साँस उखड़ने लगती है, तब संगतकार अपने दबे स्वर के द्वारा उसे सँभाल लेता है तब संगतकार अपनी कोमल आवाज़ का सहारा देकर उसे उस निराशा की स्थिति से उबारने का प्रयास करता है और उसे यह अनुभव कराता है कि इस वह अकेला नहीं है।
7. सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाते हैं तब उसे सहयोगी किस तरह सँभालते हैं?
उत्तर – कविता में कवि ने तारसप्तक में ऊँचे स्वर में गाने पर मुख्य गायक का गला बैठने की बात की है और संगतकार द्वारा अपने कोमल स्वर से उसका साथ देकर स्थिति को सँभालने के बारे में बताकर इसी बात की ओर संकेत किया है कि सफलता के चरम शिखर पर पहुँच कर यदि कोई व्यक्ति लड़खड़ाने लगता है, तब उसे उसके सहयोगी ही सँभालते हैं।
सहयोगी उसे हिम्मत देते हैं, हर स्थिति में उसके साथ खड़े रहते हैं, उसे अकेला अनुभव नहीं होने देते। इससे व्यक्ति निराशा की स्थिति से उबर पाता है और उसका साहस लौट आता है।
रचना और अभिव्यक्ति
8. कल्पना कीजिए कि आपको किसी संगीत या नृत्य समारोह का कार्यक्रम प्रस्तुत करना है लेकिन आपके सहयोगी कलाकार किसी कारणवश नहीं पहुँच पाए –
(क) ऐसे में अपनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर – ऐसी स्थिति में मैं पहले तो घबरा जाऊँगा/जाऊँगी लेकिन फिर पूरे आत्म-विश्वास के साथ अकेले ही कार्यक्रम प्रस्तुत करुँगा /करुँगी। कार्यक्रम की समाप्ति के बाद मैं दर्शकों को सहयोगी कलाकारों के उपस्थित न होने का कारण बताकर उनसे क्षमा माँगूगा / माँगूगी।
(ख) ऐसी परिस्थिति का आप कैसे सामना करेंगे ?
उत्तर- ऐसी स्थिति में मैं तकनीक का सहारा लूँगा/लूँगी। पहले की या रिहर्सल के समय की रिकॉर्डिंग चलाकर अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करुँगा /करुँगी।
9. आपके विद्यालय में मनाए जाने वाले सांस्कृतिक समारोह में मंच के पीछे काम करने वाले सहयोगियों की भूमिका पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर- किसी भी विद्यालय में मनाए जाने वाले सांस्कृतिक समारोह की सफलता में कार्यक्रम में भाग लेने वालों के साथ-साथ सहायता करने वालों की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। कार्यक्रम की आवश्यकता के अनुसार मंच का निर्माण, उसमें ध्वनि, प्रकाश, दृश्य, संगीत और अन्य सजावट की व्यवस्था,माइक व स्पीकर की व्यवस्था तथा वस्त्रों आदि के प्रबंध से लेकर विद्यार्थियों की रूप सज्जा जैसे आवश्यक काम कई लोग मिलकर सँभालते हैं।
अभिभावकों तथा मुख्य अतिथि के स्वागत और कार्यक्रम के दौरान अनुशासन एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए विद्यार्थियों की नियुक्तियाँ, पोस्टर तैयार करना तथा सजावट करने का भी महत्त्वपूर्ण काम कई लोग मिलकर करते हैं। इस प्रकार मंच के पीछे ये सभी सहयोगी कार्यक्रम की सफलता में सहायक बनते हैं।
10. किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर क्यों नहीं पहुँच पाते ?
उत्तर- किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी शीर्ष स्थान पर इसलिए नहीं पहुँच पाते क्योंकि उन्हें आगे आने का अवसर नहीं मिल पाता या कभी – कभी आर्थिक रूप से मज़बूत न होने के कारण उनमें आगे बढ़ने का आत्मविश्वास नहीं रहता। फिर धीरे – धीरे वह संगतकार के अपने कर्त्तव्य को ही अपना धर्म मानने लगते हैं और मुख्य कलाकार के प्रति श्रद्धा का भाव रखते हुए उनके सहयोगी ही बने रहना चाहते हैं।
Sangatkar Important Questions
संगतकार - महत्त्वपूर्ण प्रश्न
1. संगतकार का पैदल चलकर आना किस बात की प्रतीक है?
उत्तर – संगतकार का पैदल चलकर आना उसकी खराब आर्थिक स्थिति (पैसों की कमी) के साथ – साथ संगीत के प्रति उसकी लगन को भी दर्शाता है। उसके संघर्ष को बताता है। संगीत सीखने की अपनी इच्छा को वह अपने पूरे समर्पण के साथ पूरा करना चाहता है।
2. कवि ने संगतकार की मनुष्यता किसे कहा है?
अथवा
संगतकार के स्वर में एक हिचक – सी क्यों सुनाई देती है?
उत्तर – संगीत सभा में संगतकार अपने स्वर को ऊँचा न उठने देने की कोशिश करता है। ऐसा लगता है मानो वह संकोच के साथ गा रहा है। ऐसा वह इसलिए करता है क्योंकि वह इस बात का हमेशा ध्यान रखता है कि उसका स्वर मुख्य गायक के स्वर से ऊपर न पहुँच जाए। उसके स्वर में यह हिचक, उसकी असफलता और कमज़ोरी नहीं है बल्कि वह तो मुख्य गायक का मान बनाए रखने के लिए ही ऐसा करता है।
वह मुख्य गायक को श्रेय दिलाता है और स्वयं को उससे वंचित रखता है। वह स्वयं को गुरु से श्रेष्ठ नहीं दिखाना चाहता। ऐसा करके वह अपने गुरु के प्रति आदर का भाव प्रकट करता है। मुख्य गायक के प्रति उसकी इसी ईमानदारी और त्याग को कवि ने उसकी मनुष्यता और महानता बताया है।