Kar Chale Hum Fida

Kar Chale Hum Fida – NCERT Class 10 Hindi Course B Sparsh Ch – कर चले हम फ़िदा

NCERT Study Material for Class 10 Hindi Course B Sparsh Chapter 8 Kar Chale Hum Fida - कर चले हम फ़िदा
Composed by Kaifi Aazmi

हमारे ब्लॉग में आपको NCERT पाठ्यक्रम के अंतर्गत कक्षा 10 (Course B) की हिंदी पुस्तक ‘स्पर्श’ के पाठ पर आधारित प्रश्नों के सटीक उत्तर स्पष्ट एवं सरल भाषा में प्राप्त होंगे। साथ ही काव्य – खंड के अंतर्गत निहित कविताओं एवं साखियों आदि की विस्तृत व्याख्या भी दी गई है। 

यहाँ NCERT HINDI Class 10 के पाठ – 8 कविता – ‘कर चले हम फ़िदा’ की व्याख्या दी जा रही है। यह व्याख्या पाठ की विषय-वस्तु को समझने में आपकी सहायता करेगी। इसे समझने के उपरांत आप पाठ से संबंधित किसी भी प्रश्न का उत्तर सरलता से दे सकेंगे। आशा है यह सामग्री आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

Table of Contents

कर चले हम फ़िदा - कविता

कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो
साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते क़दम को न रुकने दिया
कट गए सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया

मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने के रुत रोज़ आती नहीं
हस्न और इश्क दोनों को रुस्वा करे
वह जवानी जो खूँ में नहाती नहीं

आज धरती बनी है दुलहन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

राह कुर्बानियों की न वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नए काफ़िले
फतह का जश्न इस जश्न‍ के बाद है
ज़िंदगी मौत से मिल रही है गले

बांध लो अपने सर से कफ़न साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

खींच दो अपने खूँ से ज़मी पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावण कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

Kar Chale Hum Fida - कर चले हम फ़िदा
शब्दार्थ

  • फ़िदा – न्योछावर
  • हवाले – सौंपना
  • रुत – मौसम
  • हुस्न – सुंदरता
  • रुस्वा – बदनाम
  • खूँ – खून
  • काफ़िले – यात्रियों का समूह 
  • फ़तह – जीत
  • जश्न – खुशी मनाना
  • नब्ज़ – नाड़ी
  • कुर्बानियाँ – बलिदान 
  • ज़मीं – ज़मीन
  • लकीर – रेखा

Kar Chale Hum Fida - कर चले हम फ़िदा
व्याख्या

कर चले हम फ़िदा जानो तन साथियो

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो 

 व्याख्या – इस कविता में युद्धभूमि में दुश्मनों का सामना करते हुए अपनी मृत्यु को निकट देखकर अर्थात् शहीद होते हुए सैनिक, अपने सैनिक साथियों और देशवासियों से कह रहे हैं कि वे तो देश की रक्षा करते हुए अपनी जान और अपने तन का बलिदान देकर इस संसार से जा रहे हैं अब देश की रक्षा की ज़िम्मेदारी तुम साथी सैनिकों और देशवासियों  की है। 

साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई 

फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया 

व्याख्या – सैनिक जाते-जाते अर्थात् मरते समय अन्य सैनिकों का उत्साह बढ़ाने के लिए बताते हैं कि दुश्मन से लड़ते-लड़ते जब उनकी मृत्यु समीप थी तब भी उन्होंने खुद को आगे बढ़ने से रोका नहीं। कहने का अर्थ यह है कि वे अपनी आखिरी साँस तक दुश्मन का मुकाबला करते रहे। 

* इस युद्ध में भारतीय वीरों ने बहुत कठिन परिस्थितियों में चीन के आक्रमण का मुकाबला किया था। उस बर्फीले वातावरण में भी उन सैनिकों ने बहादुरी और देश प्रेम की मिसाल कायम की थी। 

कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं 

सर हिमालय का हमने न झुकने दिया

व्याख्या – सैनिक कह रहे हैं कि हमने अपना सिर काटकर भी देश के सम्मान को बचाए रखा। हमने हिमालय पर्वत का सिर झुकने नहीं दिया। कहने का भाव यह है कि हिमालय पर्वत भारत के मान – सम्मान और गौरव का प्रतीक है। हमने देश का मस्तक अर्थात सम्मान नहीं झुकने दिया इस बात का हमें कोई दुख नहीं कि इसके लिए हमने अपने सिर कटा दिए अर्थात् अपनी जान न्योछावर कर दी। 

मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

व्याख्या – सैनिक कहते हैं कि मरते – मरते भी हमने अपने बाँकपन को अर्थात् जोश तथा लड़ने और मरने के उत्साह को कम नहीं होने दिया। अपने अंतिम समय में युद्धभूमि में घायल सैनिक, अन्य सैनिकों को संबोधित करते (बुलाते) हुए कहते हैं कि साथियो ! अब इस देश की रक्षा की ज़िम्मेदारी तुम्हारी है। 

जिंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर 

जान देने की रुत रोज़ आती नहीं 

व्याख्या – देश की रक्षा में अपनी जान देते हुए सैनिक, गर्व से कहता है कि जिंदा रहने के बहुत से अवसर मिलते हैं परंतु देश के लिए जान देने का अवसर कभी-कभी ही मिलता है इसका अर्थ यह है कि देश के लिए अपनी जान देना भी सौभाग्य की बात है यह अवसर सौभाग्य से मिलता है। 

हुस्न और इश्क दोनों को रुस्वा करे 

वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं

व्याख्या – इन पंक्तियों का अर्थ है कि जो जवानी देश के लिए अपना खून नहीं बहाती, वह सुंदरता और प्यार दोनों को बदनाम करती हैं। इन पंक्तियों द्वारा कवि कहना चाहता है कि जो जवान व्यक्ति देश के लिए अपनी जान देने और अपना खून बहाने से डरते हैं वह सच्चा प्यार नहीं कर सकते। 

आज धरती बनी है दुलहन साथियो 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

व्याख्या – सैनिक अपने साथी जवानों से कहते हैं कि आज धरती दुल्हन बनी हुई है। धरती रूपी दुल्हन की माँग भारतीय सैनिकों के खून रूपी सिंदूर से भरी हुई है और अपनी दुल्हन की रक्षा और उसके सम्मान के लिए हम अपने प्राण देकर जा रहे हैं अब इसकी रक्षा की ज़िम्मेदारी तुम्हारी है। 

*युद्ध भूमि में हर तरफ़ घायल और शहीद सैनिकों का लाल खून बह रहा है इसलिए कवि ने धरती को दुल्हन कहा है। भारत की धरती को चीन अपना बनाना चाहता था इसलिए यह युद्ध हुआ था। भारत के सैनिकों ने धरती रूपी दुल्हन की रक्षा करते हुए अपने खून से इसकी माँग भरकर इसे अपना सिद्ध किया। 

राह कुर्बानियों की न वीरान हो

तुम सजाते ही रहना नए काफ़िले 

व्याख्या – सैनिक अपने साथियों और देश के युवाओं से कहते हैं कि देश की रक्षा के लिए कुर्बान होने का रास्ता कभी वीरान (सुनसान) नहीं होना चाहिए। देश की रक्षा के लिए सैनिकों का समूह हमेशा आगे बढ़ता रहे अर्थात् हमने अपनी जान देकर अपने देश को बचाने की जो कोशिश की है उसे बेकार नहीं जाने देना है। हर देशवासी के मन में यह भाव हमेशा ज़िदा रहना चाहिए ताकि जब भी देश को उसकी रक्षा की जरूरत हो वीर सैनिक उसके लिए अपनी जान देने के लिए तैयार रहें। 

फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है 

ज़िंदगी मौत से मिल रही है गले

व्याख्या – सैनिक कह रहा है कि हम अपनी जान देश की रक्षा के लिए कुर्बान कर रहे हैं, यह हमारे लिए बहुत बड़ा जश्न (उत्सव) है। देश के सच्चे सैनिक के लिए यह बड़े गर्व की बात होती है कि वह देश की रक्षा करते हुए शहीद हो जाए उसके लिए उसकी मौत भी एक उत्सव है। 

सैनिक को विश्वास है कि उसका बलिदान बेकार नहीं जाएगा। जब उसकी ज़िंदगी मौत से गले मिलेगी अर्थात् जब वह खुशी-खुशी देश पर कुर्बान होगा तब देश, जीत का जश्न ज़रूर मनाएगा। 

बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियो 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

व्याख्या – सैनिक अपने साथियों से कह रहे हैँ  कि हम देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों को न्योछावर कर रहे हैं। तुम भी देश की रक्षा के लिए सर पर कफ़न बाँध लो अर्थात्‌ देश के लिए मर – मिटने के लिए तैयार हो जाओ क्योंकि अब इस देश की रक्षा की ज़िम्मेदारी तुम पर है। 

खींच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर 

इस तरफ़ आने पाए न रावन कोई 

व्याख्या – देश की रक्षा के लिए अपनी जान देने वाले सैनिक जाते-जाते अपने साथी सैनिकों से कहते हैं कि भारत भूमि सीता के समान पवित्र है अगर कोई शत्रु रूपी रावण उसकी और बुरी नजर डालें तो तुम अपने खून को बहाकर भी भारत माता की रक्षा करना।

जिस प्रकार लक्ष्मण जी ने सीता माता की रक्षा के लिए उनकी कुटिया के बाहर अपने तीर से एक रेखा खींचकर उन्हें कुटिया में सुरक्षित किया था। लक्ष्मण रेखा की शक्ति के कारण ही रावण कुटिया में प्रवेश नहीं कर सका था। उसी प्रकार भारत के बॉर्डर पर तैनात तुम देश के रक्षक, ज़रूरत पड़ने पर अपने खून से ऐसी रेखा खींच देना अर्थात् अपनी जान देकर भी भारत माता रूपी सीता की रक्षा करना। 

तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे 

छू न पाए सीता का दामन कोई 

व्याख्या – सैनिक अपने साथियों को भारत माता की रक्षा के लिए प्रोत्साहित करते हुए आगे कहता है कि उन हाथों को तोड़ दो जो भारत माता को अपमानित करने के लिए आगे बढ़े अर्थात् उन विदेशी ताकतों का वीरता से सामना कर उन्हें हरा दो जो हमारी भारत भूमि पर बल से अपना कब्ज़ा करने का दुस्साहस करें। 

राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो।

व्याख्या – सैनिक कहते हैं कि जिस प्रकार राम ने मर्यादा में रहकर वीरता पूर्वक सीता जी पर बुरी दृष्टि डालने वाले रावण का नाश किया था उसी प्रकार तुम्हें भी राम बनकर रावण रूपी शत्रु का नाश करना है और लक्ष्मण जी के समान जोश और वीरता के साथ शत्रुओं का सामना करना है क्योंकि अब  इस देश की रक्षा की ज़िम्मेदारी तुम्हारी है।

Kar Chale Hum Fida - कर चले हम फ़िदा
सार / प्रतिपाद्य / ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

यह कविता हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध गीतकार कैफ़ी आज़मी द्वारा लिखा गया देश भक्ति से पूर्ण गीत है। उन्होंने यह गीत 1962 में हुए भारत – चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी फ़िल्म हकीकत के लिए लिखा था जो अपने भाव, बोल और संगीत आदि के कारण बहुत प्रसिद्ध हुआ था। कवि ने युद्ध में घायल सैनिकों के मन के भावों को इस कविता के माध्यम से भारतवासियों तक पहुँचाने का प्रयास किया है। वीरगति को प्राप्त होते हुए अर्थात् शहीद होते हुए सैनिक अपने साथी सैनिकों और देश के जवानों से कहते हैं कि साथियो! हम देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे रहे हैं अब इस देश की रक्षा की ज़िम्मेदारी तुम्हारी है। 

Kar Chale Hum Fida - कर चले हम फ़िदा
संदेश

देश की रक्षा, देश का सम्मान सबसे ऊपर है। कवि ने इस कविता के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया है कि देश की रक्षा के लिए सैनिक अपनी जान की भी परवाह नहीं करते। वे अपना सब कुछ देश की रक्षा के लिए न्योछावर कर देते हैं। ऐसी भावना सभी भारतीयों के मन में होनी चाहिए।

Kar Chale Hum Fida - कर चले हम फ़िदा
शीर्षक की सार्थकता

यह कविता देश पर जान न्योछावर करने वाले सैनिकों के हृदय की आवाज़ है। उन्होंने हर कठिनाई का सामना करते हुए, पूरी ईमानदारी से दुश्मन का सामना किया। अब अपने अंतिम समय में वे अपने साथी सैनिकों और देश की युवा पीढ़ी को उनके कर्तव्य के प्रति सचेत कर रहे हैं। उन्हें देश के जवानों से बहुत – सी आशाएँ हैं कि उनके जाने के बाद अब वे देश की रक्षा का भार उठाएँगे और उनके जाने के बाद भी देश सुरक्षित रहेगा। 

कर चले हम फ़िदा - फ़िल्म हकीकत

कैफ़ी आज़मी ऊर्दू भाषा के एक प्रसिद्ध कवि और शायर थे। वे पहले गज़ल लिखते थे। बाद में फ़िल्मों में गीतकार और कहानीकार के रूप में लिखने लगे। निर्माता चेतन आनंद की फ़िल्म ‘हकीकत’ के लिए इन्होंने यह गीत लिखा था, जिसे बहुत प्रसिद्धि मिली। नीचे इस गीत का लिंक दिया जा रहा है, आप इस गीत को ज़रूर सुनें।

गीत कर चले हम फ़िदा – फ़िल्म हकीकत 

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