देशभक्ति पर आधारित कविताएँ/गीत – Deshbhakti par Kavitayein aur Geet

देशभक्ति पर आधारित कविताएँ/गीत  – Deshbhakti par Kavitayein aur Geet 


इस देश की धरती को शत्-शत् नमन! जिसका आध्यात्मिक ज्ञान, सभ्यता और संस्कृति संपूर्ण विश्व में अग्रणी है। इसकी समृद्धि और ऐश्वर्य को देख अनेक आततायियों ने इस ‘सोने की चिड़िया’ को अपने पिंजड़े में कैद करने का दुस्साहस किया। परंतु इस मातृभूमि के वीरों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपनी भारत – माता की आन, बान और शान को बचाने के लिए अपने प्राणों तक का बलिदान कर दिया। 

आज इस पोस्ट में देशभक्ति (Deshbhakti) से ओत-प्रोत कविताओं और गीतों का संग्रह किया गया है (Poem and songs on Patriotism in hindi) प्रख्यात कवियों/ गीतकारों द्वारा रचित इन सुप्रसिद्ध कविताओं एवं गीतों को आप स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) तथा गणतंत्र दिवस(Republic Day) के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में गाकर देश के शहीदों, उन वीर सपूतों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। 

आशा है बच्चे भी इन Patriotic poems एवं Patriotic songs का गायन कर अपनी मातृभूमि और देश के वीर जवानों के अदम्य साहस को याद करके गर्व का अनुभव करेंगे। 

धन्यवाद


देशभक्ति पर आधारित कविताएँ / गीत - eहिंदीशाला - Patriotic poems / songs - eHindishala


राष्ट्रीय गान – जन गण मन 

जन गण मन अधिनायक जय हे!

भारत भाग्य विधाता।। 

पंजाब सिंध गुजरात मराठा,

द्राविण उत्कल बंग।। 


विंध्य हिमाचल यमुना गंगा,

उच्छल जलधि तरंग। 

तव शुभ नामे जागे,

तव शुभ आशिष मांगे ,

गाहे तव जय-गाथा।


जन-गण-मंगलदायक जय हे!

भारत भाग्य विधाता।

जय हे! जय हे! जय हे!

जय जय जय, जय हे!

– रवींद्रनाथ टैगोर 

National Anthem composed by Rabindranath Tagore



राष्ट्रीय गीत – वंदे मातरम् 

वंदे मातरम्, वंदे मातरम् !

सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,

शस्यश्यामलाम् मातरम्, वंदे मातरम् !


शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,

फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,


सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,

सुखदाम्, वरदाम्, मातरम् !

वंदे मातरम्, वंदे मातरम !

– बंकिम चन्द्र चटर्जी

National Song composed by Bankim Chandra Chatterjee



कविताएँ 


पुष्प की अभिलाषा

चाह नहीं, मैं सुरबाला के

गहनों में गूँथा जाऊँ।

चाह नहीं, प्रेमी-माला में

बिंध प्यारी को ललचाऊँ। 


चाह नहीं, सम्राटों के शव पर, 

हे हरि, डाला जाऊँ। 

चाह नहीं, देवों के सिर पर

चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ।


मुझे तोड़ लेना, बनमाली,

उस पथ पर देना तुम फेंक!

मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने,

जिस पथ जाएँ वीर अनेक।

– माखनलाल चतुर्वेदी 

 Pushp ki Abhilasha composed by Maakhanlal Chaturvedi 



मातृभूमि/यह जन्मभूमि मेरी

ऊँचा खड़ा हिमालय, 

आकाश चूमता है,

नीचे चरण तले झुक,

नित सिंधु झूमता है।


गंगा यमुन त्रिवेणी, 

नदियाँ लहर रही हैं,

जगमग छटा निराली, 

पग – पग छहर रही है।


वह पुण्य भूमि मेरी,

वह स्वर्ण भूमि मेरी।

वह जन्मभूमि मेरी, 

वह मातृभूमि मेरी।


झरने अनेक झरते, 

जिसकी पहाड़ियों में,

चिड़ियाँ चहक रही हैं,

हो मस्त झाड़ियों में।


अमराइयाँ घनी हैं, 

कोयल पुकारती है,

बहती मलय पवन है,

तन – मन सँवारती है।


वह धर्मभूमि मेरी,

वह कर्मभूमि मेरी।

वह जन्मभूमि मेरी

वह मातृभूमि मेरी।


जन्मे जहाँ थे रघुपति,

जन्मी जहाँ थी सीता,

श्रीकृष्ण ने सुनाई,

वंशी पुनीत गीता।


गौतम ने जन्म लेकर,

जिसका सुयश बढ़ाया,

जग को दया सिखाई,

जग को दिया दिखाया।


वह युद्ध भूमि मेरी,

वह बुद्ध भूमि मेरी।

वह मातृभूमि मेरी,

वह जन्मभूमि मेरी।

– सोहनलाल द्विवेदी 

Matribhumi composed by Sohanlal Dwivedi 



भारतवर्ष 

मस्तक ऊँचा हुआ मही का,धन्य हिमालय का उत्कर्ष।

हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा, भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष।।


हरा-भरा यह देश बना कर विधि ने रवि का मुकुट दिया,

पाकर प्रथम प्रकाश जगत ने इसका ही अनुसरण किया।

प्रभु ने स्वयं ‘पुण्य-भू’ कह कर यहाँ पूर्ण अवतार लिया,

देवों ने रज सिर पर रक्खी, दैत्यों का हिल गया हिया!

लेखा श्रेष्ट इसे शिष्टों ने, दुष्टों ने देखा दुर्द्धर्ष !

हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा, भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष।।


अंकित-सी आदर्श मूर्ति है सरयू के तट में अब भी,

गूँज रही है मोहन मुरली ब्रज-वंशीवट में अब भी।

लिखा बुद्ध-निर्वाण-मंत्र जयपाणि-केतुपट में अब भी,

महावीर की दया प्रकट है माता के घट में अब भी।

मिली स्वर्ण लंका मिट्टी में, यदि हमको आ गया अमर्ष।

हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा, भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष।।


आर्य, अमृत संतान, सत्य का रखते हैं हम पक्ष यहाँ,

दोनों लोक बनाने वाले कहलाते हैं, दक्ष यहाँ।

शांति पूर्ण शुचि तपोवनों में हुए तत्व प्रत्यक्ष यहाँ,

लक्ष बंधनों में भी अपना रहा मुक्ति ही लक्ष यहाँ।

जीवन और मरण का जग ने देखा यहीं सफल संघर्ष। 

हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा, भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष।।


मलय पवन सेवन करके हम नंदनवन बिसराते हैं,

हव्य भोग के लिए यहाँ पर अमर लोग भी आते हैं!

मरते समय हमें गंगाजल देना, याद दिलाते हैं,

वहाँ मिले न मिले फिर ऐसा अमृत जहाँ हम जाते हैं!

कर्म हेतु इस धर्म भूमि पर लें फिर फिर हम जन्म सहर्ष

हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा, भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष।।

– मैथिलीशरण गुप्त 

Bharatvarsh composed by Maithilisharan Gupt



जय – जय प्यारा भारत देश 

जय जय प्यारा, जग से न्यारा,

शोभित सारा, देश हमारा,

जगत-मुकुट, जगदीश दुलारा

जग-सौभाग्य सुदेश!

जय जय प्यारा भारत देश।


प्यारा देश, जय देशेश,

जय अशेष, सदस्य विशेष,

जहाँ न संभव अध का लेश,

केवल पुण्य प्रवेश।

जय जय प्यारा भारत देश।


स्वर्गिक शीश-फूल पृथ्वी का,

प्रेम मूल, प्रिय लोकत्रयी का,

सुललित प्रकृति नटी का टीका

ज्यों निशि का राकेश।

जय जय प्यारा भारत देश।


जय जय शुभ्र हिमाचल शृंगा

कलरव-निरत कलोलिनी गंगा

भानु प्रताप-चमत्कृत अंगा,

तेज पुंज तपवेश।

जय जय प्यारा भारत देश।


जगमें कोटि-कोटि जुग जीवें,

जीवन-सुलभ अमी-रस पीवे,

सुखद वितान सुकृत का सीवे,

रहे स्वतंत्र हमेश

जय जय प्यारा भारत देश।

– श्रीधर पाठक 

Jay Jay Pyara Bharat Desh composed by Shridhar Pathak



प्यारा हिंदुस्तान है 

अमरपुरी से भी बढ़कर के जिसका गौरव-गान है, 

तीन लोक से न्यारा अपना प्यारा हिंदुस्तान है।

गंगा, यमुना सरस्वती से सिंचित जो गत-क्लेश है, 

सजला, सफला, शस्य-श्यामला जिसकी धरा विशेष है।

ज्ञान-रश्मि जिसने बिखेर कर किया विश्व-कल्याण है, 

सतत-सत्य-रत, धर्म-प्राण वह अपना भारत देश है।

यहीं मिला आकार ‘ज्ञेय’ को मिली नई सौग़ात है, 

इसके ‘दर्शन’ का प्रकाश ही युग के लिए विहान है। 


वेदों के मंत्रों से गुंजित स्वर जिसका निर्भ्रांत है, 

प्रज्ञा की गरिमा से दीपित जग-जीवन अक्लांत है।

अंधकार में डूबी संसृति को दी जिसने दृष्टि है, 

तपोभूमि वह जहाँ कर्म की सरिता बहती शांत है।

इसकी संस्कृति शुभ्र, न आक्षेपों से धूमिल कभी हुई, 

अति उदात्त आदर्शों की निधियों से यह धनवान है।।


योग-भोग के बीच बना संतुलन जहाँ निष्काम है, 

जिस धरती की आध्यात्मिकता, का शुचि रूप ललाम है।

निस्पृह स्वर गीता-गायक के गूँज रहें अब भी जहाँ, 

कोटि-कोटि उस जन्मभूमि को श्रद्धावनत प्रणाम है।

यहाँ नीति-निर्देशक तत्वों की सत्ता महनीय है, 

ऋषि-मुनियों का देश अमर यह भारतवर्ष महान है।

क्षमा, दया, धृति के पोषण का इसी भूमि को श्रेय है, 

सात्विकता की मूर्ति मनोरम इसकी गाथा गेय है। 

बल-विक्रम का सिंधु कि जिसके चरणों पर है लोटता, 

स्वर्गादपि गरीयसी जननी अपराजिता अजेय है।

समता, ममता और एकता का पावन उद्गम यह है, 

देवोपम जन-जन है इसका हर पत्थर भगवान है।

– डॉ० गणेश दत्त सारस्वत 

Pyaara Hindustan Hai composed by Dr. Ganeshdutt Sarswat



झाँसी की रानी

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,

बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,

गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,

दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।


चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


कानपुर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,

लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,

नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,

बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।


वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,

देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,

नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,

सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़।


महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,

ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,

राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,

सुघट बुंदेलों की विरुदावलि-सी वह आई थी झांसी में।


चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव को मिली भवानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,

किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,

तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,

रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई।


निसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,

राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,

फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,

लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।


अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की माया,

व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,

डलहौज़ी ने पैर पसारे, अब तो पलट गई काया,

राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया।


रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


छिनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,

कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर का भी घात,

उदैपुर, तंजौर, सतारा,कर्नाटक की कौन बिसात?

जब कि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात।


बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


रानी रोईं रनिवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार,

उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,

सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार,

‘नागपुर के ज़ेवर ले लो लखनऊ के लो नौलख हार’।


यों परदे की इज़्ज़त परदेशी के हाथ बिकानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


कुटियों में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,

वीर सैनिकों के मन में था अपने पुरखों का अभिमान,

नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान,

बहिन छबीली ने रण-चण्डी का कर दिया प्रकट आहवान।


हुआ यज्ञ प्रारम्भ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,

यह स्वतंत्रता की चिनगारी अंतरतम से आई थी,

झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी,

मेरठ, कानपुर,पटना ने भारी धूम मचाई थी,


जबलपुर, कोल्हापुर में भी कुछ हलचल उकसानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम,

नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,

अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम,

भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम।


लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो कुरबानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,

जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में,

लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा, आगे बढ़ा जवानों में,

रानी ने तलवार खींच ली, हुया द्वंद असमानों में।


ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,

घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार,

यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,

विजई रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार।


अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


विजय मिली, पर अंग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,

अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुहँ की खाई थी,

काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी,

युद्ध श्रेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी।


पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार,

किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार,

घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गये सवार,

रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार-पर-वार।


घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीर गति पानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


रानी गई सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,

मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी,

अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,

हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता-नारी थी,


दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,

यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतंत्रता अविनासी,

होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,

हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी।


तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।

 – सुभद्रा कुमारी चौहान 

Jhansi Ki Rani composed by Subhadra Kumari Chauhan



अरुण यह मधुमय देश हमारा

अरुण यह मधुमय देश हमारा।

जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।।


सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर।

छिटका जीवन हरियाली पर, मंगल कुंकुम सारा।।


लघु सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे।

उड़ते खग जिस ओर मुँह किए, समझ नीड़ निज प्यारा।।


बरसाती आँखों के बादल, बनते जहाँ भरे करुणा जल।

लहरें टकरातीं अनन्त की, पाकर जहाँ किनारा।।


हेम कुम्भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे।

मंदिर ऊँघते रहते जब, जगकर रजनी भर तारा।।

 – जयशंकर प्रसाद

Arun Yeh Madhumay Desh Humara composed by Jayshankar Prasad



कलम, आज उनकी जय बोल

जला अस्थियाँ बारी-बारी, 

छिटकाई जिनमें चिंगारी,

जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर, 

लिए बिना गर्दन का मोल ।

कलम, आज उनकी जय बोल ।


जो अगणित लघु – दीप हमारे, 

तूफ़ानों में एक किनारे,

जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन, 

माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल।

कलम, आज उनकी जय बोल ।


पीकर जिनकी लाल शिखाएँ, 

उगल रहीं सौ लपट दिशाएँ,

जिनके सिंहनाद से सहमी, धरती रही अभी तक डोल।

कलम, आज उनकी जय बोल ।


अंधा चकाचौंध का मारा, 

क्या जाने इतिहास बेचारा, 

साखी हैं उनकी महिमा के, 

सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल ।

कलम, आज उनकी जय बोल ।

– रामधारी सिंह ‘दिनकर’

Kalam Aaj Unki Jay Bol composed by Ramdhari Singh ‘Dinkar’



आज तिरंगा फहराता है

आज तिरंगा फहराता है अपनी पूरी शान से।

हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।


आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी।

लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी।।

व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।

हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।

हमने अपना गौरव पाया, अपने स्वाभिमान से।

हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।


गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह देश है।

जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है।।

प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर।

हिंद महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष है।।

लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से।

हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।


हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है।

उसके आँचल की छैयाँ से छोटा ये संसार है।।

हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएँगे।

सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है।।

विश्व शांति की चली हवाएँ अपने हिंदुस्तान से। 

हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।। 

– श्री सजीवन मयंक 

Aaj Tiranga Fehrata Hai composed by Sajeevan Mayank



बढ़े चलो 

बढ़े चलो ! बढ़े चलो !

ओ हिंद के जवान तुम, 

बढ़े चलो ! बढ़े चलो !

देश की हो शान तुम ।


बढ़े चलो ! स्वयं माँ भारती पुकारती, 

बढ़े चलो ! स्वयं आज आरती उतारती। 


बढ़े चलो ! जमीन और आसमाँ को जोड़ दो, 

बढ़े चलो ! पहाड़ों की चोटियों को तोड़ दो।


बढ़े चलो ! बढ़े चलो !

न पाँव तेरा रुक सके, 

तेरा वचन न टल सके,

न तेरा शीश झुक सके ।


बढ़े चलो ! बढ़े चलो !

हों दन-दनाती गोलियाँ,

आगे-पीछे घूमती हों 

दुश्मनों की टोलियाँ।


बढ़े चलो!

हो देश के अभिमान तुम,

बढ़े चलो ! बढ़े चलो !

ओ हिंद के जवान तुम ।

बढ़े चलो ! बढ़े चलो !

बढ़े चलो ! बढ़े चलो !

-कमला ओबरॉय 

Badhe chalo composed by Kamala Oberoi 




गीत


वंदे मातरम्

फ़िल्म – आनंदमठ

गायक – लता मंगेशकर 

गीतकार – बंकिम चंद्र चटर्जी 

संगीतकार – हेमंत कुमार 

वंदे मातरम्

वंदे मातरम् वंदे मातरम् – 4

वंदे मातरम्

वंदे मातरम् वंदे मातरम् – 4

सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्

शस्य श्यामलां मातरम् वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्

वंदे मातरम् वंदे मातरम् – 4


शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम् 

फुल्ल – कुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्

शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्

फुल्ल – कुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्

सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्    

सुखदाम् वरदाम् मातरम्।

 वंदे मातरम् 

वंदे मातरम् वंदे मातरम् – 4


कोटि कोटि कंठ कलकल निनाद कराले

कोटि कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवाले

कोटि कोटि कंठ कलकल निनाद कराले

कोटि कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवाले

अबला केन मा एत बोले 

बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्

रिपुदलवारिणीम् मातरम् ।

वंदे मातरम् 

वंदे मातरम् वंदे मातरम् – 4


तुमि विद्या तुमि धर्म

तुमि हृदि तुमि मर्म

त्वम् हि प्राणाः शरीरे

बाहुते तुमि मा शक्ति

हृदये तुमि मा भक्ति

तोमारई प्रतिमा गडि मंदिरे-मंदिरे मातरम्। 

वंदे मातरम् 

वंदे मातरम् वंदे मातरम् – 4


त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी 

कमला कमलदल विहारिणी

वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्

नमामि कमलाम् अमलाम् अतुलाम्

सुजलाम् सुफलाम् मातरम् वंदे मातरम् ।

श्यामलाम् सरलाम् सुस्मिताम् भूषिताम्

धरणीम् भरणाम् मातरम्

वंदे मातरम् वंदे मातरम् ।



जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा 

फ़िल्म – सिकंदर-ए-आज़म 

गायक – मोहम्मद रफ़ी 

गीतकार – राजेंद्र कृष्ण 

संगीतकार – हंसराज बहल


जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, 

वो भारत देश है मेरा, वो भारत देश है मेरा। 

जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, 

वो भारत देश है मेरा, वो भारत देश है मेरा। 

जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा, 

वो भारत देश है मेरा, वो भारत देश है मेरा। 

जय भारती – जय भारती – 4


यह धरती वो जहाँ ऋषि- मुनि जपते हरी नाम की माला। 

हरी ओम, हरी ओम, हरी ओम, हरी ओम

जहाँ हर बालक इक मोहन है और राधा इक – इक बाला। और राधा इक – इक बाला। 

जहाँ सूरज सबसे पहले आकर डाले अपना फेरा, 

वो भारत देश है मेरा, वो भारत देश है मेरा। 


जहाँ गंगा, यमुना, कृष्णा और कावेरी बहती जाए

जहाँ उत्तर दक्षिण पूर्व पछिम को अमृत पिलवाए

ये अमृत पिलवाए। 

कहीं ये फल और फूल उगाए, केसर कहीं बिखेरा

वो भारत देश है मेरा, वो भारत देश है मेरा। 


अलबेलों की इस धरती के त्योहार भी हैं अलबेले

कहीं दीवाली की जगमग है, होली के कहीं मेले 

कहीं दीवाली की जगमग है, होली के कहीं मेले 

होली के कहीं मेले। 

जहाँ राग रंग और हँसी खुशी का चारों ओर है घेरा 

वो भारत देश है मेरा, वो भारत देश है मेरा। 


जब आसमान से बातें करते मंदिर और शिवाले 

जहाँ किसी नगर में किसी द्वार पर कोई न ताला डाले 

और प्रेम की बंसी जहाँ बजाता आए शाम सवेरा 

वो भारत देश है मेरा, वो भारत देश है मेरा। 



आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झाँकी हिंदुस्तान की

फ़िल्म – जागृति 

गायक – प्रदीप

गीतकार – प्रदीप 

संगीतकार –  हेमंत कुमार 

आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झाँकी हिंदुस्तान की

इस मिट्टी से तिलक करो, ये धरती है बलिदान की

वंदे मातरम, वंदे मातरम

वंदे मातरम, वंदे मातरम


आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झाँकी हिंदुस्तान की

इस मिट्टी से तिलक करो, ये धरती है बलिदान की

वंदे मातरम, वंदे मातरम

वंदे मातरम, वंदे मातरम


उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है

दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है

जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है

बाट-बाट पे हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है

देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की, अभिमान की

इस मिट्टी से तिलक करो, ये धरती है बलिदान की

वंदे मातरम, वंदे मातरम

वंदे मातरम, वंदे मातरम


ये है अपना राजपूताना, नाज़ इसे तलवारों पे

इसने सारा जीवन काटा, बरछी तीर कटारों पे

ये प्रताप का वतन पला है, आज़ादी के नारों पे

कूद पड़ी थी यहाँ हज़ारों पद्मिनियाँ अंगारों पे

बोल रही है कण-कण से कुरबानी राजस्थान की

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की

वंदे मातरम, वंदे मातरम

वंदे मातरम, वंदे मातरम


देखो मुल्क मराठों का ये यहाँ शिवाजी डोला था

मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था

हर पर्वत पे आग जली थी, हर पत्थर एक शोला था

बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था

वीर शिवाजी ने रखी थी, लाज हमारी शान की

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की

वंदे मातरम, वंदे मातरम

वंदे मातरम, वंदे मातरम


जलियाँ वाला बाग ये देखो, यहीं चली थी गोलियाँ

ये मत पूछो किसने खेली, यहाँ खून की होलियाँ

एक तरफ़ बंदूकें दन-दन एक तरफ़ थी टोलियाँ

मरनेवाले बोल रहे थे इनक़लाब की बोलियाँ

यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाज़ी अपनी जान की

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की

वंदे मातरम, वंदे मातरम

वंदे मातरम, वंदे मातरम


ये देखो बंगाल यहाँ का, हर चप्पा हरियाला है

यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरनेवाला है

ढाला है इसको बिजली ने भूचालों ने पाला है

मुट्ठी में तूफ़ान बंधा है और प्राण में ज्वाला है

जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की

वंदे मातरम, वंदे मातरम

वंदे मातरम, वंदे मातरम


वंदे मातरम, वंदे मातरम

वंदे मातरम, वंदे मातरम



हम होंगे कामयाब


होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब, एक दिन 

हो हो… मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

हम होंगे कामयाब एक दिन। 

हम चलेंगे साथ-साथ 

डाल हाथों में हाथ 

हम चलेंगे साथ-साथ, एक दिन 

मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन। 

होगी शांति चारों ओर,

होगी शांति चारों ओर,

एक दिन… 

मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास 

होगी शांति चारों ओर एक दिन। 

नहीं डर किसी का आज 

नहीं डर किसी का आज 

के दिन

मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास 

नहीं डर किसी का आज के दिन। 

– गिरिजा कुमार माथुर



सरफ़रोशी की तमन्ना 


सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है 

देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है 

करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत

देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है 

ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,

अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफ़िल में है 

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान, 

हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है 

खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,

आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है 

यूँ खड़ा मक़तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार, 

क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है 

वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून

तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है, 

हाथ जिन में हो जुनूँ कटते नहीं तलवार से, 

सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से 

और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है, 

है लिए हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर, 

और हम तैय्यार हैं सीना लिए अपना इधर खून से 

खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है, 

हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,

जान हथेली पर लिये लो बढ़ चले हैं 

ये कदम जिंदगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है, 

दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब, 

होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको ना 

आज दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है।। 

– राम प्रसाद बिस्मिल



अपनी आज़ादी को हम 

फ़िल्म – लीडर

गायक – मोहम्मद रफ़ी 

गीतकार – शकील बदायुनी

संगीतकार – नौशाद 

अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं

अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं

सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं

सर झुका सकते नहीं


हमने सदियों में, ये आज़ादी की नेमत, पाई है

हमने ये नेमत, पाई है

सैकड़ों क़ुरबानियाँ देकर, ये दौलत पाई है

हमने ये दौलत पाई है

मुस्कराकर खाई है सीनों पे अपने गोलियाँ

सीनों पे अपने गोलियाँ

कितने वीरानों से गुज़रे हैं तो जन्नत पाई है

ख़ाक में हम अपनी इज़्ज़त को मिला सकते नहीं

अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं


क्या चलेगी ज़ुल्म की, अहले वफ़ा के सामने

अहले वफ़ा के सामने

आ नहीं सकता कोई शोला हवा के सामने

शोला हवा के सामने

लाख फ़ौजें लेके आये अमन का दुश्मन कोई -2

रुक नहीं सकता हमारी एकता के सामने

हम वो पत्थर हैं जिसे दुश्मन हिला सकते नहीं


अपनी आज़ादी को, हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं

सर कटा सकते हैं, लेकिन सर झुका सकते नहीं

सर झुका सकते नहीं


वक़्त की आवाज़ के हम साथ चलते जाएँगें

हम साथ चलते जाएँगें

हर क़दम पर ज़िंदगी का

रुख़ बदलते जाएँगें

हम रुख़ बदलते जाएँगें

गर वतन में भी मिलेगा कोई गद्दार-ए- वतन

जो कोई गद्दार-ए- वतन

अपनी ताक़त से हम उसका सर कुचलते जाएँगें

एक धोखा खा चुके हैं और खा सकते नहीं


अपनी आज़ादी को, हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं

वंदे मातरम् , वंदे मातरम् 


हम वक्त के नौजवाँ हैं, हमसे जो टकराएगा

हमसे जो टकराएगा

वो हमारी ठोकरों से खाक में मिल जाएगा 

वक़्त के तूफ़ान में बह जाएँगें जुल्मों – सितम

आसमां पर ये तिरंगा उम्र भर लहराएगा 

उम्र भर लहराएँगें… 

जो सबक बापू ने सिखलाया वो भुला सकते नहीं

सर कटा सकते हैं, लेकिन सर झुका सकते नहीं

सर कटा सकते हैं, लेकिन सर झुका सकते नहीं

अपनी आज़ादी को, हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं



होठों पे सच्चाई रहती है 
जहाँ दिल में सफ़ाई रहती है

फ़िल्म – जिस देश में गंगा बहती है

गायक – मुकेश 

गीतकार – शैलेंद्र 

संगीतकार – शंकर जयकिशन 

होठों पे सच्चाई रहती है 

जहाँ दिल में सफ़ाई रहती है

हम उस देश के वासी हैं

हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है  


होठों पे सच्चाई रहती है 

जहाँ दिल में सफ़ाई रहती है

हम उस देश के वासी हैं

हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है  


मेहमां जो हमारा होता है

वो जान से प्यारा होता है  

मेहमां जो हमारा होता है

वो जान से प्यारा होता है  

ज़्यादा की नहीं लालच हमको 

थोड़े में गुज़ारा होता है 

थोड़े में गुज़ारा होता है 


बच्चों के लिए जो धरती माँ 

सदियों से सभी कुछ सहती है

हम उस देश के वासी हैं

 हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है


कुछ लोग जो ज़्यादा जानते हैं 

इंसान को कम पहचानते हैं

कुछ लोग जो ज़्यादा जानते हैं 

इंसान को कम पहचानते हैं

ये पूरब है, पूरब वाले 

हर जान की कीमत जानते हैं 

हर जान की कीमत जानते हैं 


मिल जुल के रहो और प्यार करो 

एक चीज़ यही जो रहती है

हम उस देश के वासी हैं 

हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है


जो जिससे मिला सिखा हमने 

गैरों को भी अपनाया हमने

जो जिससे मिला सिखा हमने 

गैरों को भी अपनाया हमने

मतलब के लिए अंधे होकर 

रोटी को नहीं पूजा हमने

रोटी को नहीं पूजा हमने


अब हम तो क्या सारी दुनिया 

सारी दुनिया से कहती है

हम उस देश के वासी हैं

हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है


होठों पे सच्चाई रहती है 

जहाँ दिल में सफ़ाई रहती है

हम उस देश के वासी हैं

 हम उस देश के वासी हैं

जिस देश में गंगा बहती है



कर चले हम फ़िदा

फ़िल्म – हकीकत 

गायक – मोहम्मद रफ़ी 

गीतकार – कैफ़ी आज़मी

संगीतकार – मदन मोहन 


कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों

 अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों – 3


साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई

फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया 

कट गए सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं 

सर हिमालय का हमने न झुकने दिया 

मरते – मरते रहा बाँकपन साथियों 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों। 

कर चले हम फ़िदा… 


ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर 

जान देने की रुत रोज़ आती नहीं

हुस्न और इश्क़ दोनों को रुस्वा करे

वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं 

आज धरती बनी है दुल्हन साथियों 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों। 

कर चले हम फ़िदा…

 

राह क़ुर्बानियों की न वीरान हो 

तुम सजाते ही रहना नए क़ाफ़िले 

फ़तेह का जश्न इस जश्न के बाद है 

ज़िंदगी मौत से मिल रही है गले

बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियों, 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों। 

कर चले हम फ़िदा… 


खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर 

इस तरफ़ आने पाए न रावण कोई

तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे 

छूने पाए न सीता का दामन कोई 

राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियों, 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों। 

कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों। 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों – 2



है प्रीत जहाँ की रीत सदा

फ़िल्म – पूरब और पश्चिम 

गायक – महेंद्र कपूर 

गीतकार – इंदीवर

संगीतकार – कल्याण जी – आनंद जी


जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने

भारत ने, मेरे भारत ने

दुनिया को तब गिनती आई

तारों की भाषा, भारत ने

दुनिया को, पहले सिखलाई

देता ना दशमलव, भारत तो

यूँ चाँद पे जाना, मुश्किल था

धरती और चाँद की, दूरी का

अंदाज़ा लगाना, मुश्किल था


सभ्यता जहाँ पहले आई

सभ्यता जहाँ पहले आई

पहले जनमी है, जहाँ पे कला

अपना भारत वो भारत है

जिसके पीछे, संसार चला

संसार चला और, आगे बढ़ा

यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया

भगवान करे, ये और बढ़े

बढ़ता ही रहे, और फूले-फले

बढ़ता ही रहे, और फूले-फले


है प्रीत जहाँ की रीत सदा

है प्रीत जहाँ की रीत सदा

मैं गीत वहाँ के गाता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ

भारत की बात सुनाता हूँ

है प्रीत जहाँ की रीत सदा

मैं गीत वहाँ के गाता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ


काले-गोरे का भेद नहीं

हर दिल से हमारा नाता है..

कुछ और न आता हो हमको

हमें प्यार निभाना आता है…


जिसे मान चुकी सारी दुनिया

हो, जिसे मान चुकी सारी दुनिया

मैं बात, मैं बात वही दोहराता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ

भारत की बात सुनाता हूँ

है प्रीत जहाँ की रीत सदा

मैं गीत वहाँ के गाता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ


जीते हो किसीने देश तो क्या

हमने तो दिलों को जीता है..

जहाँ राम अभी तक है नर में

नारी में अभी तक सीता है..

इतने पावन हैं लोग जहाँ

हो इतने पावन हैं लोग जहाँ

मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ

मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ

भारत की बात सुनाता हूँ


इतनी ममता नदियों को भी

जहाँ माता कहके बुलाते हैं..

इतना आदर इंसान तो क्या

पत्थर भी पूजे जातें हैं..

उस धरती पे मैंने जनम लिया

हो, उस धरती पे मैंने जनम लिया

ये सोच, ये सोच के मैं इतराता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ

भारत की बात सुनाता हूँ

है प्रीत जहाँ की रीत सदा

मैं गीत वहाँ के गाता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ



ये देश है वीर जवानों का

फ़िल्म – नया दौर 

गायक – मोहम्मद रफ़ी

गीतकार – साहिर लुधियानवी 

संगीतकार – ओ. पी. नय्यर 

ये देश है वीर जवानों का

अलबेलों का मस्तानों का

इस देश का यारों

होय

इस देश का यारों क्या कहना

ये देश है दुनिया का गहना


यहाँ चौड़ी छाती वीरों की

यहाँ भोली शक्लें हीरों की

यहाँ गाते हैं राँझे

होय

यहाँ गाते हैं राँझे मस्ती में

मचती हैं धूमें बस्ती में


पेड़ों पे बहारें झूलों की

राहों में कतारें फूलों की

यहाँ हँसता है सावन

होय

यहाँ हँसता है सावन बालों में

खिलती हैं कलियाँ गालों में


कहीं दंगल शोख जवानों के

कहीं करतब तीर कमानों के

यहाँ नित – नित मेले

होय

यहाँ नित – नित मेले सजते हैं

नित ढोल और ताशे बजते हैं


दिलबर के लिए दिलदार हैं हम

दुश्मन के लिए तलवार हैं हम

मैदां में अगर हम

होय 

मैदां में अगर हम डट जाएँ

मुश्किल है के पीछे हट जाएँ



छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी 

फ़िल्म – हम हिंदुस्तानी 

गायक – मुकेश 

गीतकार – प्रेम धवन

संगीतकार – उषा खन्ना 

छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी

नए दौर में लिखेंगे, मिल कर नई कहानी

हम हिंदुस्तानी , हम हिंदुस्तानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी


छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी

नए दौर में लिखेंगे, मिल कर नई कहानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी


आज पुरानी ज़ंजीरों को तोड़ चुके हैं

क्या देखें उस मंज़िल को जो छोड़ चुके हैं

चाँद के दर पर जा पहुँचा है आज ज़माना

नए जगत से हम भी नाता जोड़ चुके हैं

नया खून है नई उमंगें, अब है नई जवानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी


छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी

नए दौर में लिखेंगे, मिल कर नई कहानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी


हमको कितने ताजमहल हैं और बनाने

कितने हैं अजंता हम को और सजाने

अभी पलटना है रुख कितने दरियाओं का

कितने पर्वत राहों से हैं आज हटाने

नया खून है नई उमंगें, अब है नई जवानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी


छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी

नए दौर में लिखेंगे, मिल कर नई कहानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी


आओ मेहनत को अपना ईमान बनाएँ

अपने हाथों को अपना भगवान बनाएँ

राम की इस धरती को गौतम की भूमि को

सपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएँ

नया खून है नई उमंगें, अब है नई जवानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी


छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी

नए दौर में लिखेंगे, मिल कर नई कहानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी।


हर ज़र्रा है मोती आँख उठाकर देखो 

माटी में सोना है हाथ बढ़ाकर देखो

सोने की ये गंगा है चाँदी की यमुना 

चाहो तो पत्थर से धान उगाकर देखो

नया खून है नई उमंगें अब है नई जवानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी


छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी

नए दौर में लिखेंगे, मिल कर नई कहानी

हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी।



ताकत वतन की हमसे है

 फ़िल्म – प्रेम पुजारी 

गायक – मोहम्मद रफ़ी, मन्ना डे 

गीतकार – नीरज

संगीतकार – एस. डी. बर्मन 

ताकत वतन की तुमसे है

हिम्मत वतन की तुमसे है

इज्ज़त वतन की तुमसे है

इंसान के हम रखवाले


ताकत वतन की हमसे है

हिम्मत वतन की हमसे है

इज्ज़त वतन की हमसे है

इंसान के हम रखवाले


पहरेदार हिमालय के हम

झोंके हैं तूफ़ान के

सुनकर गरज हमारी 

सीने फट जाते चट्टान के

आहा… हा


पहरेदार हिमालय के हम

झोंके हैं तूफ़ान के

सुनकर गरज हमारी 

सीने फट जाते चट्टान के

आहा… हा


ताकत वतन की हमसे है

हिम्मत वतन की हमसे है

इज्ज़त वतन की हमसे है

इंसान के हम रखवाले


सीना है फ़ौलाद का अपना

फूलों जैसा दिल है

तन में विन्ध्याजल का बल है

मन में ताजमहल है

आहा… हा


ताक़त वतन की हमसे है

हिम्मत वतन की हमसे है

इज्ज़त वतन की हमसे है

इंसान के हम रखवाले


देकर अपना खून सींचते 

देश की हम फुलवारी

बंसी से बंदूक बनाते 

हम वो प्रेम पुजारी

आहा… हा

ताकत वतन की हमसे है

हिम्मत वतन की हमसे है

इज्ज़त वतन की हमसे है

इंसान के हम रखवाले


आकर हमको कसम दे गई

राखी किसी बहन की

देंगे अपना शीश 

न देंगे मिट्टी मगर वतन की

आहा… हा

ताक़त वतन की हमसे है

हिम्मत वतन की हमसे है

इज्ज़त वतन की हमसे है

इंसान के हम रखवाले


खतरे में हो देश अरे तब 

लड़ना सिर्फ धरम है

मरना है क्या चीज़ 

आदमी लेता नया जनम है

आहा… हा

ताकत वतन की हमसे है

हिम्मत वतन की हमसे है

इज्ज़त वतन की हमसे है

इंसान के हम रखवाले


एक जान है, एक प्राण है 

सारा देश हमारा

नदियाँ चल कर थकी रुकी 

पर कभी न गंगा धरा

आहा… हा


एक जान है, एक प्राण है 

सारा देश हमारा

नदियाँ चल कर थकी रुकी 

पर कभी न गंगा धरा

आहा… हा


ताक़त वतन की हमसे है

हिम्मत वतन की हमसे है

इज्ज़त वतन की हमसे है

इंसान के हम रखवाले


ताक़त वतन की हमसे है

हिम्मत वतन की हमसे है

इज्ज़त वतन की हमसे है

इंसान के हम रखवाले



दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए

फ़िल्म – कर्मा

गायक – मोहम्मद अज़ीज़, कविता कृष्णामूर्ति 

गीतकार – आनंद बक्षी 

संगीतकार – लक्ष्मीकांत – प्यारेलाल 

मेरा कर्मा तू, मेरा धर्मा तू

तेरा सब कुछ मैं, मेरा सब कुछ तू

हर करम अपना करेंगे

ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है, जाँ भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है, जाँ भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए

हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है, जाँ भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए


हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है, जाँ भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए

तू मेरा कर्मा, तू मेरा धर्मा, तू मेरा अभिमान है

ऐ वतन मेहबूब मेरे तुझपे दिल कुर्बान है

ऐ वतन मेहबूब मेरे तुझपे दिल कुर्बान है


हम जिएँगे और मरेंगे, ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है, जाँ भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है, जाँ भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए


हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, हमवतन, हमनाम हैं

हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, हमवतन, हमनाम हैं

जो करे इनको जुदा मजहब नहीं इल्ज़ाम है


हम जिएँगे और मरेंगे, ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है, जाँ भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है, जाँ भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए


तेरी गलियों में चलाकर नफरतों की गोलियाँ

लूटते हैं कुछ लुटेरे दुल्हनों की डोलियाँ

लूटते हैं कुछ लुटेरे दुल्हनों की डोलियाँ

लूट रहे है आप वो अपने घरों को लूटकर

लूट रहे है आप वो अपने घरों को लूटकर

खेलते हैं बेख़बर अपने लहू से होलियाँ


हम जिएँगे और मरेंगे, ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है, जाँ भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए

हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए


दिल दिया है, जाँ भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए

हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है, जाँ भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए


ऐ वतन तेरे लिए

ऐ वतन तेरे लिए



ऐ मेरे वतन के लोगों 

गैर फ़िल्मी

गायक – लता मंगेशकर 

गीतकार – प्रदीप 

संगीतकार – सी रामचंद्र 

ऐ मेरे वतन के लोगों

तुम खूब लगा लो नारा

ये शुभ दिन है हम सबका

लहरा लो तिरंगा प्यारा


पर मत भूलो सीमा पर

वीरों ने है प्राण गँवाए

कुछ याद उन्हें भी कर लो

कुछ याद उन्हें भी कर लो 

जो लौट के घर न आए 

जो लौट के घर न आए 


ऐ मेरे वतन के लोगों

ज़रा आँख में भर लो पानी

जो शहीद हुए हैं उनकी

ज़रा याद करो क़ुरबानी


ऐ मेरे वतन के लोगों

ज़रा आँख में भर लो पानी

जो शहीद हुए हैं उनकी

ज़रा याद करो क़ुरबानी


तुम भूल ना जाओ उनको

इसलिए सुनो ये कहानी

जो शहीद हुए हैं उनकी

ज़रा याद करो क़ुरबानी


जब घायल हुआ हिमालय

खतरे में पड़ी आज़ादी

जब तक थी साँस लड़े वो

जब तक थी साँस लड़े वो

फिर अपनी लाश बिछा दी


संगीन पे धर कर माथा

सो गए अमर बलिदानी 

जो शहीद हुए हैं उनकी

ज़रा याद करो क़ुरबानी


जब देश में थी दीवाली

वो खेल रहे थे होली

जब हम बैठे थे घरों में

जब हम बैठे थे घरों में

वो झेल रहे थे गोली


थे धन्य जवान वो अपने

थी धन्य वो उनकी जवानी

जो शहीद हुए हैं उनकी

ज़रा याद करो क़ुरबानी


कोई सिख कोई जाट मराठा

कोई सिख कोई जाट मराठा

कोई गुरखा कोई मद्रासी 

कोई गुरखा कोई मद्रासी 


सरहद पर मरनेवाला

सरहद पर मरनेवाला

हर वीर था भारतवासी


जो खून गिरा पर्वत पर

वो खून था हिंदुस्तानी

जो शहीद हुए हैं उनकी

ज़रा याद करो क़ुरबानी


थी खून से लथ-पथ काया

फिर भी बंदूक उठाके 

दस-दस को एक ने मारा

फिर गिर गए होश गँवा के


जब अंत समय आया तो

जब अंत समय आया तो

कह गए के अब मरते हैं

खुश रहना देश के प्यारों..

खुश रहना देश के प्यारों

अब हम तो सफ़र करते हैं

अब हम तो सफ़र करते हैं


क्या लोग थे वो दीवाने

क्या लोग थे वो अभिमानी 

जो शहीद हुए हैं उनकी

ज़रा याद करो क़ुरबानी


तुम भूल ना जाओ उनको

इसलिए कही ये कहानी

जो शहीद हुए हैं उनकी

ज़रा याद करो क़ुरबानी


जय हिंद .. जय हिंद..

जय हिंद की सेना

जय हिंद.. जय हिंद..

जय हिंद की सेना

जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद

जय हिंद, जय हिंद 



ऐ मेरे प्यारे वतन

फ़िल्म – काबुलीवाला

गायक – मन्ना डे 

गीतकार – प्रेम धवन

संगीतकार – सलील चौधरी 

ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन

तुझ पे दिल क़ुर्बान

तू ही मेरी आरज़ू, तू ही मेरी आबरू

तू ही मेरी जान


तेरे दामन से जो आए

उन हवाओं को सलाम

तेरे दामन से जो आए

उन हवाओं को सलाम

चूम लूँ मैं उस ज़ुबाँ को 

जिसपे आए तेरा नाम 

सबसे प्यारी सुबह तेरी

सबसे रंगीं तेरी शाम

तुझ पे दिल क़ुर्बान 

तू ही मेरी आरज़ू, तू ही मेरी आबरू

तू ही मेरी जान


माँ का दिल बनके कभी 

सीने से लग जाता है तू

माँ का दिल बनके कभी 

सीने से लग जाता है तू

और कभी नन्हीं – सी बेटी 

बन के याद आता है तू 

जितना याद आता है मुझको

उतना तड़पाता है तू

तुझ पे दिल क़ुर्बान 

तू ही मेरी आरज़ू, तू ही मेरी आबरू

तू ही मेरी जान


छोड़ कर तेरी ज़मीं को 

दूर आ पहुँचे हैं हम

छोड़ कर तेरी ज़मीं को 

दूर आ पहुँचे हैं हम

फिर भी है ये ही तमन्ना 

तेरे ज़र्रों की क़सम 

हम जहाँ पैदा हुए 

उस जगह पे ही निकले दम

तुझ पे दिल क़ुर्बान

तू ही मेरी आरज़ू, तू ही मेरी आबरू

तू ही मेरी जान



मेरा रंग दे बसंती चोला

फ़िल्म – शहीद (1965) 

गायक – मुकेश, महेंद्र कपूर, राजेंद्र मेहता 

गीतकार – प्रदीप 

संगीतकार – प्रदीप 

ओ मेरा रंग दे बसंती चोला, मेरा रंग दे

ओ मेरा रंग दे बसंती चोला

ओये

रंग दे बसंती चोला

माये रंग दे बसंती चोला


म निकले इस देश की खातिर

बस इतना अरमान है

दम निकले इस देश की खातिर

बस इतना अरमान है

एक बार इस राह में मरना

सौ जन्मों के समान है

देख के वीरों की क़ुरबानी..

देख के वीरों की क़ुरबानी

अपना दिल भी बोला

मेरा रंग दे बसंती चोला


ओ मेरा रंग दे बसंती चोला

मेरा रंग दे

ओ मेरा रंग दे बसंती चोला ओये

रंग दे बसंती चोला

माये रंग दे बसंती चोला


जिस चोले को पहन शिवाजी,

खेले अपनी जान पे

जिस चोले को पहन शिवाजी,

खेले अपनी जान पे

जिसे पहन झाँसी की रानी, मिट

गई अपनी आन पे

आज उसी को पहन के निकला, पहन के निकला

आज उसी को पहन के निकला, हम मस्तों का टोला

मेरा रंग दे बसंती चोला


ओ मेरा रंग दे बसंती चोला

मेरा रंग दे ओ मेरा रंग दे बसंती चोला ओये

रंग दे बसंती चोला

माये रंग दे बसंती चोला



ऐ वतन, ऐ वतन

फ़िल्म – शहीद 

गायक – मोहम्मद रफ़ी 

गीतकार – प्रेम धवन

संगीतकार – प्रेम धवन

जलते भी गए, कहते भी गए, आज़ादी के परवाने
जीना तो उसी का जीना है, जो मरना वतन पे जाने

ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी क़सम,
तेरी राहों में जाँ तक लुटा जाएँगे,
फूल क्या चीज़ है तेरे क़दमों पे हम,
भेंट अपने सरों की चढ़ा जाएँगे.
ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी क़सम,
तेरी राहों में जाँ तक लुटा जाएँगे,
ऐ वतन, ऐ वतन……

कोई पंजाब से, कोई महाराष्ट्र से,
कोई यूपी से है, कोई बंगाल से,
कोई पंजाब से, कोई महाराष्ट्र से,
कोई यूपी से है, कोई बंगाल से,
तेरी पूजा की थाली में लाएँ हैं हम,
फूल हर रंग के, आज हर डाल से,
नाम कुछ भी सही, पर लगन एक है,
जोत से जोत दिल की जगा जाएँगे,
ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी क़सम,
तेरी राहों में जाँ तक लुटा जाएँगे,
ऐ वतन, ऐ वतन……


तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र,
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम,
तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र,
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम,
तेरी धरती पे है जो, क़दम गैर का,
उस क़दम का निशां तक मिटा देंगे हम,
उस क़दम का निशां तक मिटा देंगे हम,
जो भी दीवार आएगी अब सामने,
ठोकरों से उसे हम गिरा जाएँगे,
ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी क़सम,
तेरी राहों में जाँ तक लुटा जायेंगे,
ऐ वतन, ऐ वतन……

सह चुके हैं सितम हम बहुत गैर के,
अब करेंगे हर एक वार का सामना,
सह चुके हैं सितम हम बहुत गैर के,
अब करेंगे हर एक वार का सामना,
झुक सकेगा ना अब सरफरोशों का सर,
चाहे हो खूनी तलवार का सामना,
चाहे हो खूनी तलवार का सामना,
सर पे बांधे कफ़न, हम तो हँसते हुए,
मौत को भी गले से लगा जाएँगे,
ऐ वतन ऐ वतन

जब शहीदों की अर्थी उठे धूम से,
देशवालों तुम आँसू बहाना नहीं,
पर मनाओ जब आज़ाद भारत का दिन,
उस घड़ी तुम हमें भूल जाना नहीं,
लौट कर आ सकें ना जहाँ में तो क्या,
याद बनके दिलों में तो आ जाएँगे,
ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी क़सम,
तेरी राहों में जाँ तक लुटा जाएँगे,
ऐ वतन, ऐ वतन……
ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी क़सम,
तेरी राहों में जाँ तक लुटा जाएँगे,
फूल क्या चीज़ है तेरे क़दमों पे हम,
भेंट अपने सरों की चढ़ा जाएँगे.
ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी क़सम,
तेरी राहों में जाँ तक लुटा जाएँगे,
इन्कलाब जिंदाबाद…..
इन्कलाब जिंदाबाद…..
इन्कलाब जिंदाबाद…..
इन्कलाब जिंदाबाद…..
इन्कलाब जिंदाबाद…..

इन्कलाब जिंदाबाद…..



हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के 

फ़िल्म – जागृति

गायक – मोहम्मद रफ़ी

गीतकार – प्रदीप 

संगीतकार – हेमंत कुमार 

पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के 

अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के 

मंज़िल पे आया मुल्क हर बला को टाल के 

सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के 


हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के 

इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के 

तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के 

इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के 


हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के 

इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के 


देखो कहीं बरबाद ना होए ये बगीचा 

देखो कहीं बरबाद ना होए ये बगीचा 

इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा 

रक्खा है ये चिराग़ शहीदों ने बाल के

इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के। 

 

दुनिया के दाँव पेंच से रखना ना वास्ता 

मंज़िल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता 

भटका ना दे कोई तुम्हें धोखे में डाल के

इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के। 


ऐटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया 

बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया 

ऐटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया 

बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया 

तुम हर कदम उठाना ज़रा देख भाल के

इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के। 


राम की तुम भूल भुलय्या में ना भूलो 

सपनों के हिंडोलों पे मगन होके ना झूलो 

आराम की तुम भूल भुलय्या में ना भूलो 

सपनों के हिंडोलों पे मगन होके ना झूलो 

अब वक़्त आ गया है मेरे हँसते हुए फूलों 

उठो छलाँग मार के आकाश को छू लो 

तुम गाड़ दो गगन पे तिरंगा उछाल के

इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के


हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के 

इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के 



नन्हा मुन्ना राही हूँ

फ़िल्म – सन ऑफ इंडिया 

गायक – शांति देवी माथुर 

गीतकार – शकिल बदायुनी

संगीतकार – नौशाद 

नन्हा मुन्ना राही हूँ,

देश का सिपाही हूँ

बोलो मेरे संग

जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद


रस्ते में चलूँगा न डर-डर के

चाहे मुझे जीना पड़े मर-मर के

मंज़िल से पहले ना लूँगा कहीं दम

आगे ही आगे बढ़ाऊँगा कदम

दाहिने-बाएँ, दाहिने-बाएँ, थम


नन्हा मुन्ना राही हूँ,

देश का सिपाही हूँ

बोलो मेरे संग

जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद


धूप में पसीना बहाऊँगा जहाँ

हरे-हरे खेत लहराएँगे वहाँ

धरती पे फ़ाके न पाएँगे जनम

आगे ही आगे बढ़ाऊँगा कदम

दाहिने-बाएँ, दाहिने-बाएँ, थम


नन्हा मुन्ना राही हूँ,

देश का सिपाही हूँ

बोलो मेरे संग

जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद


नया है ज़माना मेरी नई है डगर

देश को बनाऊँगा मशीनों का नगर

भारत किसी से रहेगा नहीं कम

आगे ही आगे बढ़ाऊँगा कदम

दाहिने-बाएँ, दाहिने-बाएँ, थम


नन्हा मुन्ना राही हूँ,

देश का सिपाही हूँ

बोलो मेरे संग

जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद


बड़ा हो के देश का सहारा बनूँगा

दुनिया की आँखों का तारा बनूँगा

रखूँगा ऊँचा तिरंगा परचम

आगे ही आगे बढ़ाऊँगा कदम

दाहिने-बाएँ, दाहिने-बाएँ, थम


नन्हा मुन्ना राही हूँ,

देश का सिपाही हूँ

बोलो मेरे संग

जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद


शांति की नगरी है मेरा ये वतन

सबको सिखाऊँगा मैं प्यार का चलन

दुनिया में गिरने न दूँगा कहीं बम

आगे ही आगे बढ़ाऊँगा कदम

दाहिने-बाएँ, दाहिने-बाएँ, थम


नन्हा मुन्ना राही हूँ,

देश का सिपाही हूँ

बोलो मेरे संग

जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद



मेरे देश की धरती

फ़िल्म – उपकार 

गायक – महेंद्र कपूर 

गीतकार – गुलशन बावरा

संगीतकार – कल्याण जी – आनंद जी

मेरे देश की धरती सोना उगले 

उगले हीरे मोती

मेरे देश की धरती। 


बैलों के गले में जब घुँघरू, जीवन का राग सुनाते हैं

ग़म कोस दूर हो जाता है, खुशियों के कंवल मुस्काते हैं

सुनके रहट की आवाज़ें, यूँ लगे कहीं शहनाई बजे 

आते ही मस्त बहारों के, दुल्हन की तरह हर खेत सजे

मेरे देश की धरती सोना उगले

उगले हीरे मोती

मेरे देश की धरती 


जब चलते हैं इस धरती पे हल, ममता अँगड़ाइयाँ लेती है

क्यूँ ना पूजें इस माटी को, जो जीवन का सुख देती है

इस धरती पे जिसने जनम लिया, उसने ही पाया प्यार तेरा

यहाँ अपना पराया कोई नहीं, है सब पे माँ उपकार तेरा,

मेरे देश की धरती सोना उगले 

उगले हीरे मोती

मेरे देश की धरती 


ये बाग़ है गौतम नानक का, खिलते हैं चमन के फूल यहाँ

गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक, ऐसे हैं अमन के फूल यहाँ

रंग हरा हरि सिंह नलवे से, रंग लाल है लाल बहादुर से

रंग बना बसंती भगत सिंह, रंग अमन का वीर जवाहर से, 

मेरे देश की धरती सोना उगले

उगले हीरे मोती

मेरे देश की धरती 



संदेसे आते हैं

फ़िल्म – बार्डर 

गायक – सोनू निगम, रूप सिंह राठौर 

गीतकार – जावेद अख्तर 

संगीतकार – अन्नू मलिक 

हो हो हो हो हो हो…   

संदेसे आते हैं

हमें तड़पाते हैं

जो चिट्ठी आती है

वो पूछे जाती है

के घर कब आओगे – २ 

लिखो कब आओगे

के तुम बिन ये घर

सूना – सूना है। 


संदेसे आते हैं

हमें तड़पाते हैं

जो चिट्ठी आती है

वो पूछे जाती है

के घर कब आओगे- २ 

लिखो कब आओगे

के तुम बिन ये घर

सूना – सूना है। 


किसी दिलवाली ने

किसी मतवाली ने

हमें खत लिखा है

ये हमसे पूछा है

किसी की साँसों ने

किसी की धड़कन ने

किसी की चूड़ी ने

किसी के कंगन ने

किसी के कजरे ने

किसी के गजरे ने

महकती सुबहों ने

मचलती शामों ने

अकेली रातों में

अधूरी बातों ने

तरसती बाहों ने 

और पूछा है

तरसी निगाहों ने

के घर कब आओगे – २

लिखो कब आओगे

के तुम बिन ये

घर सूना – सूना है। 


संदेसे आते हैं

हमें तड़पाते हैं

जो चिट्ठी आती है

वो पूछे जाती है

के घर कब आओगे – २  

लिखो कब आओगे

के तुम बिन ये घर

सूना – सूना है। 


मोहब्बतवालों ने

हमारे यारों ने

हमें ये लिखा है

कि हमसे पूछा है

हमारे गाँवों ने

आम की छाँवों ने

पुराने पीपल ने

बरसते बादल ने

खेत खलियानों ने

हरे मैदानों ने

बसंती मेलों ने

झूमती बेलों ने

लचकते झूलों ने

दहकते फूलों ने

चटकती कलियों ने

और पूछा है 

गाँव की गलियों ने

के घर कब आओगे – २ 

लिखो कब आओगे

के तुम बिन गाँव

सूना – सूना है। 


संदेसे आते हैं

हमें तड़पाते हैं

जो चिट्ठी आती है

वो पूछे जाती है

के घर कब आओगे – २  

लिखो कब आओगे

के तुम बिन ये

घर सूना – सूना है। 

हो हो हो हो हो हो हो …… 


कभी एक ममता की

प्यार की गंगा की

जो चिट्ठी आती है

साथ वो लाती है

मेरे दिन बचपन के

खेल वो आँगन के

वो साया आँचल का

वो टीका काजल का

वो लोरी रातों में

वो नरमी हाथों में

वो चाहत आँखों में

वो चिंता बातों में

बिगड़ना ऊपर से

मोहब्बत अंदर से

करे वो देवी माँ 

यही हर खत में पूछे मेरी माँ

के घर कब आओगे

लिखो कब आओगे

के तुम बिन आँगन

सूना – सूना है। 


संदेसे आते हैं

हमें तड़पाते हैं

वो  चिट्ठी आती है

वो पूछे जाती है

के घर कब आओगे – २  

लिखो कब आओगे

के तुम बिन ये घर

सूना – सूना है। 


ऐ गुजरने वाली हवा बता

मेरा इतना काम करेगी क्या

मेरे गाँव जा,

मेरे दोस्तों को सलाम दे

मेरे गाँव में है जो वो गली

जहाँ रहती है मेरी दिलरुबा

उसे मेरे प्यार का जाम दे – २ 


वहीं थोड़ी दूर है घर मेरा

मेरे घर में है मेरी बूढ़ी माँ

मेरी माँ के पैरों को छू के तू 

उसे उसके बेटे का नाम दे

ऐ गुजरनेवाली हवा ज़रा

मेरे दोस्तों, मेरी दिलरुबा, 

मेरी माँ को मेरा पयाम दे

उन्हें जा के तू ये पयाम दे


मैं वापस आऊँगा – २

फिर अपने गाँव में

उसी की छाँव में,

कि माँ के आँचल से

गाँव के पीपल से

किसी के काजल से

किया जो वादा था

वो निभाऊँगा

मैं एक दिन आऊँगा

मैं एक दिन आऊँगा …… 



मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन

फ़िल्म – दिलजले

गायक – कुमार सानू, आदित्य नारायण 

गीतकार – जावेद अख्तर 

संगीतकार – अन्नू मलिक 

मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन

शांति का उन्नति का प्यार का चमन

मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन

शांति का उन्नति का प्यार का चमन

इसके वास्ते निसार है मेरा तन, मेरा मन

ऐ वतन, ऐ वतन, ऐ वतन

जाने मन, जाने मन, जाने मन

ऐ वतन, ऐ वतन, ऐ वतन

जाने मन, जाने मन, जाने मन


मेरा मुल्क मेरा देश मेरा यह वतन

शांति का उन्नति का प्यार का चमन

इसकी मिट्टी से बने तेरे मेरे ये बदन

इसकी धरती तेरे मेरे वास्ते गगन

इसने ही सिखाया हमको जीने का चलन

जीने का चलन

इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन

ऐ वतन, ऐ वतन, ऐ वतन

जाने मन, जाने मन, जाने मन

मेरा मुल्क मेरा देश मेरा यह वतन

शांति का उन्नति का प्यार का चमन


अपने इस चमन को स्वर्ग हम बनाएँगे

कोना – कोना अपने देश का सजाएँगे

जश्न होगा ज़िंदगी का होंगे सब मगन

इसके वास्ते निसार है मेरा तन, मेरा मन

ऐ वतन, ऐ वतन, ऐ वतन

जाने मन, जाने मन, जाने मन




देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू

फ़िल्म – द लेजेंड ऑफ़ भगत सिंह 

गायक – सुखविंदर सिंह, ए. आर. रहमान 

गीतकार – समीर

संगीतकार – ए. आर. रहमान 

देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी शान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी शान है तू

मिटाने से नहीं मिटते

मिटाने से नहीं मिटते

डराने से नहीं डरते

वतन के नाम पे

वतन के नाम पे हम

सर कटाने से नहीं डरते

मिटाने से नहीं मिटते

देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी शान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी शान है तू


हज़ारों ख़्वाब रोशन हैं

सुलगती – सी निगाहों में

सुलगती सी निगाहों में

कफ़न हम बाँध के निकले हैं 

आज़ादी की राहों में

कफ़न हम बाँध के निकले हैं 

आज़ादी की राहों में

निशाने पे जो रहते हैं

निशाने से नहीं डरते

देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी शान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी शान है तू


हमारी एक मंज़िल है

हमारा एक नारा है

धर्म से जात से ज़्यादा

हमें यह मुल्क प्यारा है

धर्म से जात से ज़्यादा

हमें यह मुल्क प्यारा है

हम इस पे ज़िंदगी अपनी

मिटाने से नहीं डरते

देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी शान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी शान है तू


मिटाने से नहीं मिटते

डराने से नहीं डरते

वतन के नाम पे

वतन के नाम पे हम

सर कटाने से नहीं डरते

देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी शान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी शान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू

देस मेरे देस मेरे मेरी जान है तू



ये जो देस है तेरा

फ़िल्म – स्वदेस

गायक – ए. आर. रहमान 

गीतकार – जावेद अख्तर 

संगीतकार – ए. आर. रहमान 

ये जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा

तुझे है पुकारा…

ये वो बंधन है जो कभी टूट नहीं सकता


ये जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा

तुझे है पुकारा…

ये वो बंधन है जो कभी टूट नहीं सकता


मिट्टी की है जो खुशबू ,  तू कैसे भुलाएगा?

तू चाहे कहीं जाए, तू लौट के आएगा

नई-नई राहों में, दबी-दबी आहों में

खोये-खोये दिल से तेरे, कोई ये कहेगा

ये जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा

तुझे है पुकारा…

ये वो बंधन है जो कभी टूट नहीं सकता


तुझसे ज़िंदगी है ये कह रही

सब तो पा लिया, अब है क्या कमी?

यूँ तो सारे सुख है बरसे

पर दूर तू है अपने घर से..

आ लौट चल तू अब दीवाने

जहाँ कोई तो, तुझे अपना माने

आवाज़ दे तुझे बुलाने, वही देस..


ये जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा

तुझे है पुकारा..

ये वो बंधन है जो कभी, टूट नहीं सकता


ये पल.. है वही जिसमें है, छुपी

पूरी एक सदी, सारी ज़िंदगी

तू ना पूछ रास्ते में काहे

आए हैं इस तरह दो राहें

तू ही तो है जो राह सुझाये

तू ही तो है जो ये बताये

जायें तो किस दिशा में जायें वही.. देस


ये जो देस है तेरा स्वदेस.. है तेरा

तुझे है पुकारा…

ये वो बंधन है जो कभी टूट नहीं सकता



देस रंगीला 

फ़िल्म – फ़ना 

गायक – महालक्ष्मी अय्यर 

गीतकार – प्रसून जोशी 

संगीतकार – जतिन – ललित 

यहाँ हर कदम कदम पे धरती बदले रंग

यहाँ की बोली में रंगोली सात रंग

यहाँ हर कदम कदम पे धरती बदले रंग

यहाँ की बोली में रंगोली सात रंग

धानी पगड़ी पहने मौसम है

नीली चादर ताने अंबर है

नदी सुनहरी हरा समुंदर है रे सजीला

देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला

देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला

देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला

देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला..


वंदेमातरम.. वंदेमातरम..

वंदेमातरम.. वंदेमातरम..


सिंदूरी गालों वाला सूरज जो करे ठिठोली

शर्मीले खेतों को ढक ले चुनर पीली पीली

घूंघट मे रंग पनघट मे रंग चम् चम् चमकीला


देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला

देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला..


अबीर गुलाल से चेहरे है यहाँ मस्तानों की टोली

रंग हँसी में रंग ख़ुशी में रिश्ते जैसे होली

बातों में रंग यादों में रंग रंग रंग रंगीला


देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला

देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला..


इश्क का रंग यहाँ पर गहरा चढ़ के कभी न उतरे

सच्चे प्यार का ठहरा – सा रंग छलके पर न बिखरे

रंग अदा में रंग हया में है रसीला


देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला

देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला

देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला

देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला..


यहाँ हर कदम कदम पे धरती बदले रंग

यहाँ की बोली में रंगोली सात रंग

धानी पगड़ी पहने मौसम हैं

नीली चादर ताने अंबर है

नदी सुनहरी हरा समुंदर है रे सजीला

देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला..

रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला


देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला

देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला

देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला

देस रंगीला रंगीला देस मेरा रंगीला..



ऐसा देस है मेरा 

फ़िल्म – वीर – ज़ारा

गायक – लता मंगेशकर, उदित नारायण 

गीतकार – जावेद अख्तर 

संगीतकार – मदन मोहन 

ओ.. अंबर हेठाँ धरती वसदी ऐथे हर रुत हँसदी हो.. 

किन्ना सोणा देस है मेरा, देस है मेरा, देस है मेरा

किन्ना सोणा देस है मेरा, देस है मेरा, देस है मेरा


धरती सुनहरी अंबर नीला 

धरती सुनहरी अंबर नीला 

हर मौसम रंगीला 

ऐसा देस है मेरा हो.. ऐसा देस है मेरा 

ऐसा देस है मेरा हो.. ऐसा देस है मेरा 


बोले पपीहा कोयल गाए…

बोले पपीहा कोयल गाए 

सावन घिर – घिर आए 

ऐसा देस है मेरा हो.. ऐसा देस है मेरा 

ऐसा देस है मेरा हो.. ऐसा देस है मेरा 


 कोठे ते काँ बोले ओये चिट्ठी मेरे माहिए दी

 विच मेरा वी ना बोले ओये चिट्ठी मेरे माहिए दी


 गेहूँ के खेतों में कंघी जो करे हवाएँ 

 रंग-बिरंगी कितनी चुनरियाँ उड़-उड़ जाएँ 

पनघट पर पनहारन जब गगरी भरने आए 

मधुर-मधुर तानों में कहीं बँसी कोई बजाए

लो सुन लो क़दम-क़दम पे है मिल जानी.. 

क़दम-क़दम पे है मिल जानी

कोई प्रेम कहानी

ऐसा देस है मेरा हो.. ऐसा देस है मेरा 

ऐसा देस है मेरा हो.. ऐसा देस है मेरा 

 

ओ मेरी जुगनी दे ताके पक्के जुगनी ओस दे मुँह तो फब्बे

जीनू सट इश्क दी लग्गे ओये सांई मेरे आ जुगनी

वीर मेरे आ जुगनी कैंदी ए ओ नाम सांई का लैंदी है

ओह दिल कढ लिता ई जिंद मेरिए


बाप के कंधे चढ़ के जहाँ बच्चे देखे मेले

मेलों में नट के तमाशे कुल्फ़ी के, चाट के ठेले

कहीं मिलती मीठी गोली कहीं चूरन की है पुड़िया

भोले-भोले बच्चे हैं जैसे गुड्डे और गुड़िया

 और इनको रोज़ सुनाए दादी – नानी हो..

रोज़ सुनाए दादी – नानी इक परियों की कहानी

 ऐसा देस है मेरा हो.. ऐसा देस है मेरा 

ऐसा देस है मेरा हो.. ऐसा देस है मेरा 


सड़के – सड़के जांदी है मुटियारे नि कंडा चुबां तेरे पैर बांकीय नारे नि

ओये नि अडिये कंडा चुबां तेरे पैर बांकीय नारे नि

कौन कड़े तेरा कांडणा मुटियारे नि 

कौन सहे तेरी पीड़ बांकीय नारे नि

कौन सहे तेरी पीड़ बांकीय नारे नि


मेरे देस में मेहमानों को भगवान कहा जाता है 

वो यहीं का हो जाता है जो कहीं से भी आता है

तेरे देस को मैंने देखा तेरे देस को मैंने जाना

तेरे देस को मैंने देखा तेरे देस को मैंने जाना

जाने क्यूँ ये लगता है मुझको जाना पहचाना

यहाँ भी वही शाम है वही सवेरा ओ..

वही शाम है वही सवेरा, ऐसा ही देस है मेरा

जैसा देस है तेरा वैसा देस है तेरा हाँ.. जैसा देस है तेरा

ऐसा देस है मेरा हो.. जैसा देस है तेरा

ऐसा देस है मेरा हो.. जैसा देस है तेरा



चक दे इंडिया 

फ़िल्म – चक दे इंडिया 

गायक – सुखविंदर सिंह 

गीतकार – जयदीप साहनी

संगीतकार – सलीम – सुलेमान 


कुछ करिए, कुछ करिए

नस नस मेरी खोले, हाय कुछ करिए

कुछ करिए, कुछ करिए

बस बस बड़ा बोले, अब कुछ करिए

अब कुछ करिए, अब कुछ करिए

हो कोई तो चल ज़िद्द फड़िए, डूब तरिये या मरिये

हो कोई तो चल ज़िद्द फड़िए, डूब तरिये या मरिये

चक दे हो चक दे इंडिया

चक दे हो चक दे इंडिया


कुचों में गलियों में, राशन की फलियों में

बैलों में बीजों में, ईदों में तीजों में

रेतों के दानों में, फिल्मों के गानों में

सड़को के गड्ढों में, बातों के अड्डों में

हुंकारा आज भर ले, दस बारह बार कर ले

रहना ना यार पीछे, कितना भी कोई खींचे

टस है ना मस है जी, ज़िद है तो ज़िद है जी

किसना यूँ ही, पिसना यूँ ही, पिसना यूँ ही

बस करिए

कोई तो चल ज़िद्द फड़िए…

चक दे हो चक दे इंडिया…


लड़ती पतंगों में, भिड़ती उमँगों में

खेलों के मेलों में, बलखाती रेलों में

गन्नों के मीठे में, खद्दर में, झींटें में

ढूँढों तो मिल जावे, पत्ता वो ईंटों में

रंग ऐसा आज निखरे, और खुलके आज बिखरे

मन जाए ऐसी होली, रग-रग में दिल के बोली

टस है ना मस है जी, ज़िद है तो ज़िद है जी

किसना यूँ ही, पिसना यूँ ही, पिसना यूँ ही

बस करिए

कोई तो चल ज़िद्द फड़िए…

चक दे हो चक दे इंडिया…



कसुंबी 

फ़िल्म – परमाणु 

गायक – दिव्या कुमार 

गीतकार – वायु 

संगीतकार – सचिन जिगर

मैया..

लगेया लगेया मेनू

लगेया लगेया मेनू..


सबसे पहले सबसे बढ़के

दिल में मेरे है ये मेरा वतन

आसमां भी हार जाए

करले कोई जतन


सबसे पहले सबसे बढ़के

दिल में मेरे है ये मेरा वतन

आसमां भी हार जाए

करले कोई जतन


मेनू लगेया..

हो मेनू लगेया..


हो मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


की ऐसा मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


की ऐसा मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


की ऐसा मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


जिद्द पे जो अब जाएँगे

जग से भी भीड़ जाएँगे

आबरू इसकी रखने को

अब तो वारी जावां मैं ये जीवन


की ऐसा मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


की ऐसा मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


की ऐसा मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


की ऐसा मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


अपना लोहा माने दुनिया

ये बनाया है मन

सारा दमख़म डाल के हम

पूरा कर दें वचन 


अपना लोहा माने दुनिया

ये बनाया है मन

सारा दमख़म डाल के हम

पूरा कर दें वचन 


डर से ऊपर उठ गए सर

हौसले हैं बुलंद

इस इरादे को हिला दे

हर किसी में कहाँ है इतना दम


मेनू लगेया..

हो मेनू लगेया..


हो मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


की ऐसा मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


की ऐसा मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


की ऐसा मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


जिद्द पे जो अब जाएँगे

जग से भी भीड़ जाएँगे

आबरू इसकी रखने को

अब तो वारी जावां मैं ये जीवन


की ऐसा मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


की ऐसा मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


की ऐसा मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


की ऐसा मेनू लगेया लगेया

लागी लगेया लगेया

लागी लगेया कसुंबी रंग


मैया..



ऐ वतन 

फ़िल्म – राज़ी

गायक – अरिजीत सिंह, सुनिधि चौहान 

गीतकार – गुलज़ार 

संगीतकार – शंकर – एहसान – लॉय

लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी

ज़िंदगी शम्मा की सूरत हो खुदाया मेरी

लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी 


ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू

ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू

ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू


मैं जहाँ रहूँ, जहाँ में याद रहे तू

मैं जहाँ रहूँ, जहाँ में याद रहे तू


ऐ वतन मेरे वतन

ऐ वतन मेरे वतन


तू ही मेरी मंज़िल  है, पहचान तुझी से

तू ही मेरी मंज़िल  है, पहचान तुझी से

पहुँचू मैं जहाँ भी

मेरी बुनियाद रहे तू

पहुँचू मैं जहाँ भी

मेरी बुनियाद रहे तू


ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू

मैं जहाँ रहूँ, जहाँ में याद रहे तू

ऐ वतन मेरे वतन

ऐ वतन मेरे वतन


तुझपे कोई गम की आँच आने नहीं दूँ

तुझपे कोई गम की आँच आने नहीं दूँ

कुर्बान मेरी जान तुझपे शाद रहे तू

कुर्बान मेरी जान तुझपे शाद रहे तू


ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू

मैं जहाँ रहूँ, जहाँ में याद रहे तू

ऐ वतन ऐ वतन

मेरे वतन मेरे वतन

आबाद रहे तू, आबाद रहे तू

ऐ वतन मेरे वतन

आबाद रहे तू।



तेरी मिट्टी में मिल जावां

फ़िल्म – केसरी 

गायक – बी. प्राक

गीतकार – मनोज मुंताशिर

संगीतकार – आर्को

तलवारों पे सर वार दिए

अंगारों में जिस्म जलाया है

तब जा के कहीं हमने सर पे

ये केसरी रंग सजाया है


ऐ मेरी ज़मीं अफ़सोस नहीं

जो तेरे लिए सौ दर्द सहे

महफ़ूज़ रहे तेरी आन सदा

चाहे जान मेरी ये रहे न रहे


ऐ मेरी ज़मीं महबूब मेरी

मेरी नस-नस में तेरा इश्क बहे

फीका ना पड़े कभी रंग तेरा

जिस्मों से निकल के खून कहे


तेरी मिट्टी में मिल जावाँ

गुल बणके मैं खिल जावाँ

इतनी सी है दिल की आरज़ू

तेरी नदियों में बह जावाँ

तेरे खेतों में लहरावाँ

इतनी सी है दिल की आरज़ू


सरसों से भरे खलिहान मेरे

जहाँ झूम के भंगड़ा पा न सका

आबाद रहे वो गाँव मेरा

जहाँ लौट के वापस जा न सका

ओ वतना वे, मेरे वतना वे

तेरा-मेरा प्यार निराला था

कुर्बान हुआ तेरी अस्मत पे

मैं कितना नसीबों वाला था

तेरी मिट्टी में मिल जावा

गुल बणके मैं खिल जावाँ

इतनी सी है दिल की आरज़ू

तेरी नदियों में बह जावाँ

तेरे खेतों में लहरावाँ

इतनी सी है दिल की आरज़ू


ओ हीर मेरी तू हँसती रहे

तेरी आँख घड़ी भर नम ना हो

मैं मरता था जिस मुखड़े पे

कभी उसका उजाला कम ना हो


ओ माई मेरी क्या फ़िक्र तुझे

क्यूँ आँख से दरिया बहता है

तू कहती थी तेरा चाँद हूँ मैं

और चाँद हमेशा रहता है

तेरी मिट्टी में मिल जावाँ

गुल बणके मैं खिल जावाँ

इतनी सी है दिल की आरज़ू

तेरी नदियों में बह जावाँ

तेरे खेतों में लहरावाँ

इतनी सी है दिल की आरज़ू


ओ रान्झणा वे, तेरी साँसों पे

थोड़ा सा वतन का भी हक था

ना देख मुझे यूँ मुड़-मुड़ के

तेरा-मेरा साथ यहीं तक था

ये तेरी ज़मीं तेरे खून से ही

तो सजती सँवरती है रांझे

तेरे इश्क की मैं हक़दार नहीं

तेरी हीर तो धरती है रांझे


तेरी मिट्टी में मिल जावाँ

गुल बणके मैं खिल जावाँ

इतनी सी है दिल की आरज़ू

तेरी नदियों में बह जावाँ

तेरे खेतों (फसलों) में लहरावाँ

इतनी सी है दिल की आरज़ू


ऐ मेरी ज़मीं अफसोस नहीं

ऐ मेरी ज़मीं अफ़सोस नहीं

जो तेरे लिए सौ दर्द सहे

महफ़ूज़ रहे तेरी आन सदा

चाहे जान मेरी ये रहे न रहे



देश मेरे 

फ़िल्म – भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया

गायक – अरिजीत सिंह 

गीतकार –  मनोज मुंताशिर

संगीतकार – आर्को

ओ देश मेरे 

तेरी शान पे सदके

कोई धन है क्या 

तेरी धूल से बढ़के

तेरी धूप से रौशन 

तेरी हवा पे ज़िंदा

तू बाग़ है मेरा

 मैं तेरा परिंदा


है अर्ज़ ये दीवाने की

जहाँ भोर सुहानी देखी

एक रोज़ वहीं 

मेरी शाम हो


कभी याद करे जो ज़माना

माटी पे मर मिट जाना

ज़िक्र में शामिल मेरा नाम हो


ओ देश मेरे 

तेरी शान पे सदके

कोई धन है क्या 

तेरी धुल से बढ़के

तेरी धूप से रौशन 

तेरी हवा पे ज़िंदा

तू बाग़ है मेरा 

मैं तेरा परिंदा


आँचल तेरा रहे माँ

रंग बिरंगा ओ…

ऊँचा आसमां से

हो तेरा तिरंगा


जीने की इजाज़त देदे

या हुकुम म शहादत देदे

मंज़ूर हमें जो भी तू चुने


रेशम का हो मधुशाला

या कफ़न सिपाही वाला

ओढ़ेंगे हम जो भी तू बूने


ओ देश मेरे 

तेरी शान पे सदके

कोई धन है क्या 

तेरी धूल से बढ़के

तेरी धूप से रौशन 

तेरी हवा पे ज़िन्दा

तू बाग़ है मेरा 

मैं तेरा परिंदा







Comments

  1. Anonymous

    Thank you..helped me a lot ❤❤

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