व्याकरण – ड – ड़ और ढ – ढ़ में अंतर (Difference between ड – ड़ और ढ – ढ़)

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ड – ड़ और ढ – ढ़ में अंतर – 

व्याकरण – ड – ड़ और ढ – ढ़ में अंतर (Difference between ड – ड़ और ढ – ढ़)

इस पोस्ट में आप जानेंगे – 

* हिंदी वर्णमाला में ड – ड़ और ढ – ढ़ का क्या स्थान है 

* ड – ड़ और ढ – ढ़ में अंतर (Difference between ड – ड़ and ढ – ढ़) 

* ड-ड़ तथा ढ-ढ़ का हिंदी भाषा में किस प्रकार प्रयोग होता है। 

* ड-ड़ तथा ढ-ढ़ से जुड़े नियम।

* मूर्धन्य किसे कहते हैं? 

* उत्क्षिप्त व्यंजन कौन से हैं? 

ड और ढ वर्ण हिंदी वर्णमाला में टवर्ग के अंतर्गत अर्थात् तीसरी पंक्ति में तीसरे और चौथे स्थान पर आते हैं। ड और ढ का उच्चारण मुख में जिस स्थान से होता है वह मूर्धा कहलाता है। इस स्थान से उच्चरित होने के कारण इन्हें ‘मूर्धन्य’ कहा जाता है।

     ड और ढ वर्णों के नीचे बिंदु लगाकर ड़ और ढ़ ध्वनियाँ बनती हैं। इन्हें भी व्यंजन के रूप में अपनाया गया है। ड़ और ढ़ हिंदी की विशेष व्यंजन ध्वनियाँ हैं। हिंदी वर्णमाला में इन्हें ‘टवर्ग’ के पाँचों व्यंजनों के बाद अलग से लिखा जाता है। ये वर्ण अरबी – फ़ारसी भाषा के प्रभाव से हिंदी वर्णमाला में आए हैं। इनके उच्चारण में जीभ को ऊपर उठाकर आगे की ओर फेंका जाता है इसलिए इन्हें ‘उत्क्षिप्त व्यंजन’ भी कहा जाता है। 

      ड़ और ढ़ का प्रयोग किसी भी शब्द के आरंभ में नहीं किया जाता । इनका प्रयोग केवल शब्द के मध्य और अंत में होता है। 

नीचे दिए गए शब्दों के उच्चारण की सहायता से आप इन ध्वनियों के अंतर को और अच्छी तरह से समझ सकेंगे – 

ड – 

डाली, पंडित, डलिया, डमरू, डिब्बा डोरी, डाँट, डंडा 

ड़ – 

पेड़, पेड़ा, थोड़ा, बड़ा, सड़क, घोड़ा, दौड़, लड़ाई, लड़का

ढ – 

ढक्कन, ढाल, ढलान, ढफ़ली, ढोंग, ढाँचा, ढूँढ़ना 

ढ़ – 

पढ़ना, बूढ़ा, बढ़ना, चढ़ाई, कढ़ाई, ढूँढता, गाढ़ा

अब यदि पहले ड और ड़ की बात करें तो ऊपर दिए गए शब्दों में हमने देखा कि ‘ड़’ हमेशा शब्द के बीच में या अंत में आता है। उसी प्रकार ‘ड’ हमेशा शब्द के शुरू में होता है। लेकिन कुछ विशेष स्थितियों में यह शब्द के बीच में भी आता है। ऐसा तब होता है जब ‘ड’ से पहले या बाद में कोई अनुस्वार अर्थात् आधा पंचम वर्ण (ङ्, ञ्, ण्, न्, म्) आता है। उदाहरण के लिए खंडहर (खण्डहर), ठंड (ठण्ड) । आपने देखा कि यहाँ ‘ड’ शब्द के बीच में भी आया है और शब्द के अंत में भी।

हमें बस इस बात का ध्यान रखना है कि यदि ‘ड’ पर या उस से पहले वाले वर्ण पर बिंदी है अर्थात् आधा पंचम वर्ण है या फिर उससे पहले या बाद में कोई आधा वर्ण है तो वहाँ ‘ड’ ही होगा, ड़ नहीं। आइए कुछ और उदाहरण देखते हैं – डंडा (डण्डा), उद्दंड (उद्दण्ड), अंडा (अण्डा), आडंबर (आडम्बर), सांड (साण्ड), गड्डा, खड्डा आदि।

एक और स्थिति में ‘ड’ शब्द के बीच में आ सकता है – जब मूल शब्द में उपसर्ग जोड़ा जाए। जैसे – अडिग (अ + डिग), बागडोर (बाग + डोर)। ऐसी स्थिति में मूल शब्द के आगे उपसर्ग लग जाने से शब्द के बीच में भी ‘ड’ आ जाता है ।

हिंदी भाषा में केवल ऊपर बताई गई स्थितियों में ही ‘ड’ अक्षर शब्द के बीच में या शब्द के अंत में आ सकता है। संस्कृत तथा अंग्रेज़ी भाषा के शब्दों में ‘ड़’ का प्रयोग नहीं होता क्योंकि इन भाषाओं में ड़ ध्वनि होती ही नहीं है। उनमें हमेशा ‘ड’ ही आएगा फिर चाहे वह शब्द के शुरू में हो, बीच में हो या शब्द के अंत में। उदाहरण के लिए :- BED – बेड, DOG – डॉग, ROAD – रोड, ADVANCE – अडवांस । इसी प्रकार संस्कृत के खड्ग, प्रचंड, खंड, दंड आदि शब्दों में भी ‘ड’ अक्षर शब्द के पहले, बीच में और अंत में भी आता है। 

अब प्रश्न यह आता है कि ऐसा क्यों है कि हिंदी भाषा में ‘ड़’ और ‘ढ़’ हमेशा शब्द के बीच में या अंत में आते हैं तथा ‘ड’ और ‘ढ’ हमेशा शब्द के शुरू में आते हैं?

शब्दों को बोलने में किसी प्रकार की रुकावट न हो, शायद इसलिए ड और ढ हमेशा शब्द के शुरू में आते हैं। हिंदी भाषा की ध्वनियों के आधार पर शब्दों की संरचना इस प्रकार से की जाती होगी। केवल आधे वर्णों और उपसर्ग के आने की स्थिति में ये वर्ण शब्द के बीच में आते हैं। 

शब्द के शुरू में ड़ और ढ़ को बोलना मुश्किल होता है। आप स्वयं बोल कर देखिए। यदि हमें डाल के स्थान पर ड़ाल बोलना हो या डाकिया की जगह ड़ाकिया बोलना हो तो जीभ को तो असुविधा होगी ही साथ ही बोलने में भी अटपटा लगेगा। अत: हिंदी भाषा में ड़ और ढ़ से कोई भी शब्द शुरू नहीं होता। इसलिए अंताक्षरी खेलते समय ड़ और ड को एक ही मान लिया जाता है। 

जिस प्रकार शब्द के आरंभ में ड़ और ढ़ को बोलना मुश्किल होता है उसी प्रकार शब्द के बीच में ड और ढ बोलने के लिए जीभ के आगे के हिस्से को मुँह के ऊपरी भाग अर्थात् मूर्धा पर जाना पड़ता है जबकि ड़ और ढ़ बोलते समय जीभ मूर्धा को छूकर अपनी सामान्य स्थिति में आ जाती है। भाषा के प्रवाह को बनाए रखने के लिए भाषा के विद्वानों द्वारा यह नियम बनाया गया होगा। 

आशा है इस लेख को पढ़ने के उपरांत ड – ड़ और ढ – ढ़ के संबंध में आपके भ्रमों का निवारण हुआ होगा और इस विषय को स्पष्ट रूप से समझने में आपको सहायता मिली होगी। 

अपने विचार कॉमेंट करके अवश्य बताएँ।

धन्यवाद

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