हिंदी वर्णमाला में कितने वर्ण होते हैं ? (Hindi Varnamala)

हिंदी वर्णमाला में कितने वर्ण होते हैं ? (Hindi Varnamala)

मनुष्य अपने विचारों को बोलकर या लिखकर प्रकट करता है। बोलते समय हम अनेक शब्दों का प्रयोग करते हैं। ये शब्द, अनेक ध्वनियों से मिलकर बनते हैं। ध्वनियों के लिखित चिह्न वर्ण कहलाते हैं।

इस पोस्ट में हम हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण (Varna) और उन वर्णों के समूह अर्थात् वर्णमाला (Varnamala) के विषय में जानेंगे। साथ ही जानेंगे कि हिंदी वर्णमाला में कितने वर्ण होते हैं। 

वर्णमाला किसे कहते हैं?

वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। इसके टुकड़े नहीं किए जा सकते। भाषा को व्यवस्थित रूप से लिखने के लिए वर्णों की आवश्यकता होती है। वर्णों के निश्चित क्रमबद्ध समूह को ‘वर्णमाला’ (Varnamala) कहते हैं। 

हिंदी वर्णमाला

यहाँ हम संबंधित विषय की केवल प्राथमिक स्तर पर ही चर्चा करेंगे। अक्सर देखा जाता है कि लोगों में हिंदी वर्णमाला से संबंधित अनेक भ्रांतियाँ फैली हुई हैं। यहाँ तक कि हिंदी व्याकरण की अलग – अलग पुस्तकों में भी हिंदी वर्णमाला के अलग – अलग रूप देखने को मिलते हैं। आज हम एक – एक करके Hindi Varnamala से जुड़े सभी बिंदुओं पर चर्चा करेंगे। 

मानक हिंदी वर्णमाला
हिंदी वर्णमाला का वर्गीकरण

मानक हिंदी वर्णमाला

स्वर (Swar) -

जिन वर्णों को बोलते समय हवा बिना किसी रुकावट के मुख से बाहर निकलती है, उन वर्णों को ‘स्वर’ कहते हैं। हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर हैं। उच्चारण में लगने वाले समय के आधार पर स्वरों के तीन भेद होते हैं।

        हिंदी वर्णमाला में इनका स्थान सबसे पहले आता है। 

अयोगवाह (Ayogwah) -

अक्सर अज्ञानतावश ‘अं’ और  ‘अः’ को स्वरों के साथ रखा जाता है क्योंकि इनकी मात्राएँ होती हैं किंतु यह स्वर नहीं हैं। इनका प्रयोग स्वर और व्यंजन दोनों के साथ किया जाता है। 

अनुस्वार (Anusvara) -

अनुस्वार का उच्चारण नाक से किया जाता है। मानक हिंदी में पंचम वर्ण (ङ्, ञ् , ण्, न्, म्) के स्थान पर अनुस्वार का चिह्न, स्वर अथवा व्यंजन के ऊपर लगाया जाता है। 

विसर्ग (Visarg) -

विसर्ग का उच्चारण ‘ह’ की तरह किया जाता है। इसका प्रयोग केवल तत्सम (संस्कृत) शब्दों में ही किया जाता है। इनका  उच्चारण स्वतंत्र रूप से नहीं होता। अं (अनुस्वार) तथा अः (विसर्ग) को अयोगवाह कहते हैं।  

हिंदी वर्णमाला में इन्हें स्वरों के बाद और व्यंजनों से पहले अर्थात् दोनों के बीच में लिखने का प्रावधान है। 

व्यंजन (Vyanjan) -

व्यंजन वर्णों को बोलते समय हवा मुख के विभिन्न भागों को छूकर बाहर निकलती है। व्यंजन वर्णों को स्वरों की सहायता के बिना नहीं बोला जा सकता। प्रत्येक व्यंजन का उच्चारण ‘अ’ की सहायता से होता है। यदि व्यंजन को बिना स्वर के लिखना हो तो हलंत का प्रयोग किया जाता है। उच्चारण के आधार पर हिंदी वर्णमाला में व्यंजन के भी तीन भेद होते हैं।

      हिंदी वर्णमाला में इन्हें अयोगवाह के बाद अर्थात् तीसरे स्थान पर रखा जाता है। 

संयुक्त व्यंजन (Sanyukt Vyanjan) -

जब एक स्वर रहित और स्वर सहित व्यंजन मिलकर एक नया व्यंजन (एक निश्चित लिखित रूप) बनाते हैं तब वह संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं।   

हिंदी वर्णमाला में चार संयुक्त व्यंजन हैं। इन्हें वर्णमाला के अंत में लिखा जाता है।

अन्य विशेष वर्ण -

ड़ और ढ़

ड़ और ढ़ हिंदी की विशेष व्यंजन ध्वनियाँ हैं। ड़ और ढ़ का प्रयोग किसी भी शब्द के आरंभ में नहीं किया जाता । इनका प्रयोग केवल शब्द के मध्य और अंत में होता है। इनके उच्चारण में जीभ को ऊपर उठाकर आगे की ओर फेंका जाता है इसलिए इन्हें ‘उत्क्षिप्त व्यंजन’ कहा जाता है।हिंदी वर्णमाला में इन्हें ‘टवर्ग’ के पाँचों व्यंजनों के बाद अलग से लिखा जाता है। 

अनुनासिक (Anunasik)

अनुनासिक ध्वनियों के उच्चारण में हवा नाक और मुँह, दोनों से बाहर निकलती है। इसका चिह्न चंद्रबिंदु (ँ) के रूप में शिरोरेखा के ऊपर लगाया जाता है। अनुनासिकता स्वर का गुण है। यह स्वतंत्र ध्वनि नहीं है। इसका प्रयोग स्वरों के साथ होता है।इसलिए हिंदी वर्णमाला में इसे अलग से नहीं लिखा जाता। ऐसे शब्द जहाँ शिरोरेखा पर कोई मात्रा हो, तब वहाँ चंद्रबिंदु के स्थान पर केवल बिंदी लगाई जाती है, जैसे – मैं, में, ईंट आदि। .

आगत ध्वनियाँ -

ऑ – अंग्रेज़ी भाषा से आई स्वर ध्वनि है। इसका प्रयोग अंग्रेज़ी शब्दों को हिंदी में लिखते समय किया जाता है, जैसे- डॉक्टर, बॉल, आदि। 

ज़, फ़ – अंग्रेज़ी, अरबी, फ़ारसी आदि शब्दों के अनेक शब्द हिंदी भाषा में सम्मिलित हो गए हैं। उनके शब्द उच्चारण के लिए इन ध्वनियों का प्रयोग किया जाता है, जैसे – फ़ोन सफ़ेद, सज़ा, आदि। 

हिंदी वर्णमाला में वर्णों की संख्या -

अतः हिंदी वर्णमाला में 52 वर्ण हैं। यदि प्रयोग के आधार पर आगत ध्वनियों को मिला दिया जाए तो इनकी संख्या 55 होगी।

यह लेख मेरा निजी मत है जिसका आधार मेरी शिक्षा, इस विषय पर मेरा शोध एवं मेरा अनुभव है। यदि आप इस संबंध में कोई पृथक मत रखते हैं तो आपके सुझावों का स्वागत है। आप अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में लिखकर हमारे साथ साझा कर सकते हैं। 

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